दीवारे कहती हैं
दस्ताने कई खुशियों के बीते ज़माने कई
था जब ये खुशनुमा आशियाना
चारों तरफ था हंसी का तराना
रंगों से था जब दीवारें सजाना
कभी इनके पीछे वो छुपना छुपाना
बैठकर उस पर वो घंटों बिताना
दीवारों पे सारे हुनर वो दिखाना
कभी कुछ है लिखना कभी फिर मिटाना
दीवारे कहती हैं
दस्ताने कई खुशियों के बीते ज़माने कई
था जब ये खुशनुमा आशियाना
चारों तरफ था हंसी का तराना
©Prashant
#दीवारें