तुमनें तो हकीकत को अभी तक भी नहीं माना, तुम महलों | हिंदी शायरी
"तुमनें तो हकीकत को अभी तक भी नहीं माना,
तुम महलों की शमा कोई मैं आंवारा सा परवाना,
तुझे छु राख होना ही तो बस तकदीर मेरी हैं,
मुझे यह दिल और यह जां हैं तेरे नाम कर जाना,"
तुमनें तो हकीकत को अभी तक भी नहीं माना,
तुम महलों की शमा कोई मैं आंवारा सा परवाना,
तुझे छु राख होना ही तो बस तकदीर मेरी हैं,
मुझे यह दिल और यह जां हैं तेरे नाम कर जाना,