कभी क़हर, कभी जहर, कभी हंसी पहर है तू, मैं बाग हूँ | हिंदी Shayari

"कभी क़हर, कभी जहर, कभी हंसी पहर है तू, मैं बाग हूँ एक वीराना सा, और एक गुलजार शहर है तू... ©Sarah Moses"

 कभी क़हर, कभी जहर, कभी हंसी पहर है तू,
मैं बाग हूँ एक वीराना सा, 
और एक गुलजार शहर है तू...

©Sarah Moses

कभी क़हर, कभी जहर, कभी हंसी पहर है तू, मैं बाग हूँ एक वीराना सा, और एक गुलजार शहर है तू... ©Sarah Moses

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