Sarah Moses

Sarah Moses

It's Sarah here from Kanpur city......❤❤. ( Stand UP Raise Your Voice And Take Charge) ❤❤......

  • Latest
  • Popular
  • Repost
  • Video

काश कहीं ऐसा होता, समुंदर पर अपना राज होता, लहरों का सिर पर ताज होता. काश कहीं ऐसा होता , मुट्ठी में आसमान होता , बादलों पर अपना जहान होता, काश कहीं ऐसा होता , रेगिस्तान मे अपना घर होता, तूफानो का ना कोई डर होता, काश कहीं ऐसा होता , ऋतुओं पे अपना जोर होता, हर दिन बारिश का शोर होता, काश कहीं ऐसा होता, सांसो का वज़न कभी कम ना होता, फिर अपनो को खोने का गम ना होता, काश कहीं ऐसा होता, सपनो का कोई आकार होता, और मैं एक कुशल कुम्हार होता, काश! काश! काश! मै जैसा सोचता, हर पल मेरी सोंच जैसा होता.... काश कहीं ऐसा होता.... ! 📝$^®^# ©Sarah Moses

#boat  काश कहीं ऐसा होता, 
समुंदर पर अपना राज होता, 
लहरों का सिर पर ताज होता.
काश कहीं ऐसा होता , 
मुट्ठी में आसमान होता , बादलों पर अपना जहान होता,
काश कहीं ऐसा होता , 
रेगिस्तान मे अपना घर होता, तूफानो का ना कोई डर होता, 
काश कहीं ऐसा होता , 
ऋतुओं पे अपना जोर होता, हर दिन बारिश का शोर होता, 
काश कहीं ऐसा होता, 
सांसो का वज़न कभी कम ना होता, 
फिर अपनो को खोने का गम ना होता, 
काश कहीं ऐसा होता, सपनो का कोई आकार होता, 
और मैं एक कुशल कुम्हार होता,  
काश! काश! काश! मै जैसा सोचता, 
हर पल मेरी सोंच जैसा होता.... 
काश कहीं ऐसा होता.... ! 

📝$^®^#

©Sarah Moses

#boat

16 Love

जन्म स्थल तो नहीं है, पर अब वो मेरा घर है, जहाँ मैं बसता हूँ, मेरा सुकून है वहाँ, वहाँ मैं खिलखिला कर हँसता हूँ, वो गंगा की लहर , और वो शाम का पहर , ठिकाना है मेरा, वो बनारस शहर, पग - पग की दूरी मे जहाँ घाट ही घाट हैं, ये ऐसी है नगरी जिसके अलग ही ठाठ हैं, यूहीं नहीं मैं खुल कर जीता हूँ, यारों मै काशी का पानी पीता हूँ.... ©Sarah Moses

#adventure #Quotes  जन्म स्थल तो नहीं है, 
पर अब वो मेरा घर है, 
जहाँ मैं बसता हूँ, 
मेरा सुकून है वहाँ, 
वहाँ मैं खिलखिला कर हँसता हूँ, 
वो गंगा की लहर , और वो शाम का पहर , 
 ठिकाना है मेरा, वो बनारस शहर, 
पग - पग की दूरी मे जहाँ घाट ही घाट हैं, 
ये ऐसी है नगरी जिसके अलग ही ठाठ हैं, 
यूहीं नहीं मैं खुल कर जीता हूँ, 
यारों मै काशी का पानी पीता हूँ....

©Sarah Moses

#adventure

13 Love

मैं कौन हूँ? मैं कौन हूँ? कैसे बताऊँ मैं कौन हूँ? कभी उड़ पाऊँ मैं खुल कर, मैं वो बेताब जान हूँ, अभी घुली नहीं हूँ सब में, अभी बहुतों से अंजान हूँ, यूँ तो मैं रहती भीड़ मे घिरी, पर हाल - फिल्हाल वीरान हूँ, मुझे अवसर मिले तो मैं खिल जाऊँ, कोई ढूंढे तो जो मैं मिल जाऊँ, मैं सुलझी सी हूँ, सच मे हूँ, मैं उलझती नहीं, नहीं कभी नहीं, मैं मेरी माँ का गर्व हूँ, मैं विस्तार मे दिया संदर्भ हूँ, मुझे ठौर मिले जो बड़ने का मैं घनी सी अमर बेल हूँ, ऊबड़ -खाबड़ से रस्ते मे ,मैं लहराती सी रेल हूँ, मैं समुंदर हूँ ,मैं दरिया हूँ, मैं बहुतों की सीख का जरिया हूँ,, ©Sarah Moses

#BhaagChalo  मैं कौन हूँ? 
मैं कौन हूँ? 
कैसे बताऊँ मैं कौन हूँ? 
कभी उड़ पाऊँ मैं खुल कर, 
मैं वो बेताब जान हूँ, 
अभी घुली नहीं हूँ सब में, 
अभी बहुतों से अंजान हूँ, 
यूँ तो मैं रहती भीड़ मे घिरी, 
पर हाल - फिल्हाल वीरान हूँ, 
मुझे अवसर मिले तो मैं खिल जाऊँ, 
कोई ढूंढे तो जो मैं मिल जाऊँ, 
मैं सुलझी सी हूँ, सच मे हूँ, 
मैं उलझती नहीं, नहीं कभी नहीं, 
मैं मेरी माँ का गर्व हूँ, 
मैं विस्तार मे दिया संदर्भ हूँ,
मुझे ठौर मिले जो बड़ने का मैं घनी सी अमर बेल हूँ, 
ऊबड़ -खाबड़ से रस्ते मे ,मैं लहराती सी रेल हूँ,
मैं समुंदर हूँ ,मैं दरिया हूँ, मैं बहुतों की सीख का जरिया हूँ,,

©Sarah Moses

#BhaagChalo

15 Love

कोई मुझसे अमृत्व का पूछे तो मैं तेरा नाम लूंगा माँ, रख लूंगा तुझे अपने जहन में, मैं तुझे अपनी हर सुबह और हर शाम दूंगा माँ, कभी कभी मेरी खामोशी, मेरी तन्हाई मुझे बांधने लगती हैं, पर हर सफर मे तू मुझे थाम लेती है माँ, मैं होता हूँ जब वीरानियों मे, तू बसती है मेरी कहानियों मे, मैं बस चलता रहता हूँ, तुझमे ढलता रहता हूँ, ©Sarah Moses

#MothersDay #Quotes  कोई मुझसे अमृत्व का पूछे तो मैं तेरा नाम लूंगा माँ, 
रख लूंगा तुझे अपने जहन में, 
मैं तुझे अपनी हर सुबह और हर शाम दूंगा माँ, 
कभी कभी मेरी खामोशी, मेरी तन्हाई मुझे बांधने लगती हैं, 
पर हर सफर मे तू मुझे थाम लेती है माँ, 
मैं होता हूँ जब वीरानियों मे, 
तू बसती है मेरी कहानियों मे, 
मैं बस चलता रहता हूँ, 
तुझमे ढलता रहता हूँ,

©Sarah Moses

#MothersDay

14 Love

कभी क़हर, कभी जहर, कभी हंसी पहर है तू, मैं बाग हूँ एक वीराना सा, और एक गुलजार शहर है तू... ©Sarah Moses

 कभी क़हर, कभी जहर, कभी हंसी पहर है तू,
मैं बाग हूँ एक वीराना सा, 
और एक गुलजार शहर है तू...

©Sarah Moses

कभी क़हर, कभी जहर, कभी हंसी पहर है तू, मैं बाग हूँ एक वीराना सा, और एक गुलजार शहर है तू... ©Sarah Moses

14 Love

मैं ढूँढती रही पर सहारे ना मिले, थक गयी कश्ती मेरी पर किनारे ना मिले, हम साथ हैं, हम पास है सब कहते रहे, जब आश थी कुछ पाने की तब हमारे ना मिले, एक हम हैं जो सह लेते हैं ज़ुल्म भी हजार, जो लुटा दे अपना सब, ऐसे कफारे ना मिले, ©Sarah Moses

#Quotes #boat  मैं ढूँढती रही पर सहारे ना मिले, 
थक गयी कश्ती मेरी पर किनारे ना मिले, 
हम साथ हैं, हम पास है सब कहते रहे, 
जब आश थी कुछ पाने की तब हमारे ना मिले, 
एक हम हैं जो सह लेते हैं ज़ुल्म भी हजार,
जो लुटा दे अपना सब, ऐसे कफारे ना मिले,

©Sarah Moses

#boat

16 Love

Trending Topic