मैं कौन हूँ?
मैं कौन हूँ?
कैसे बताऊँ मैं कौन हूँ?
कभी उड़ पाऊँ मैं खुल कर,
मैं वो बेताब जान हूँ,
अभी घुली नहीं हूँ सब में,
अभी बहुतों से अंजान हूँ,
यूँ तो मैं रहती भीड़ मे घिरी,
पर हाल - फिल्हाल वीरान हूँ,
मुझे अवसर मिले तो मैं खिल जाऊँ,
कोई ढूंढे तो जो मैं मिल जाऊँ,
मैं सुलझी सी हूँ, सच मे हूँ,
मैं उलझती नहीं, नहीं कभी नहीं,
मैं मेरी माँ का गर्व हूँ,
मैं विस्तार मे दिया संदर्भ हूँ,
मुझे ठौर मिले जो बड़ने का मैं घनी सी अमर बेल हूँ,
ऊबड़ -खाबड़ से रस्ते मे ,मैं लहराती सी रेल हूँ,
मैं समुंदर हूँ ,मैं दरिया हूँ, मैं बहुतों की सीख का जरिया हूँ,,
©Sarah Moses
#BhaagChalo