दर्द हो दिल में तो दवा कीजे दिल ही जब दर्द हो तो क | हिंदी Shayari

"दर्द हो दिल में तो दवा कीजे दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजे हमको फ़रियाद करनी आती है आप सुनते नहीं तो क्या कीजे इन बुतों को ख़ुदा से क्या मतलब तौबा तौबा ख़ुदा ख़ुदा कीजे रंज उठाने से भी ख़ुशी होगी पहले दिल दर्द आशना कीजे अर्ज़-ए-शोख़ी निशात-ए-आलम है हुस्न को और ख़ुदनुमा कीजे दुश्मनी हो चुकी बक़द्र-ए-वफ़ा अब हक़-ए-दोस्ती अदा कीजे मौत आती नहीं कहीं, ग़ालिब कब तक अफ़सोस जीस्त का कीजे -मिर्ज़ा ग़ालिब ©¶ Sagar"

 दर्द हो दिल में तो दवा कीजे
दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजे

हमको फ़रियाद करनी आती है
आप सुनते नहीं तो क्या कीजे

इन बुतों को ख़ुदा से क्या मतलब
तौबा तौबा ख़ुदा ख़ुदा कीजे

रंज उठाने से भी ख़ुशी होगी
पहले दिल दर्द आशना कीजे

अर्ज़-ए-शोख़ी निशात-ए-आलम है
हुस्न को और ख़ुदनुमा कीजे

दुश्मनी हो चुकी बक़द्र-ए-वफ़ा
अब हक़-ए-दोस्ती अदा कीजे

मौत आती नहीं कहीं, ग़ालिब
कब तक अफ़सोस जीस्त का कीजे


-मिर्ज़ा ग़ालिब

©¶ Sagar

दर्द हो दिल में तो दवा कीजे दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजे हमको फ़रियाद करनी आती है आप सुनते नहीं तो क्या कीजे इन बुतों को ख़ुदा से क्या मतलब तौबा तौबा ख़ुदा ख़ुदा कीजे रंज उठाने से भी ख़ुशी होगी पहले दिल दर्द आशना कीजे अर्ज़-ए-शोख़ी निशात-ए-आलम है हुस्न को और ख़ुदनुमा कीजे दुश्मनी हो चुकी बक़द्र-ए-वफ़ा अब हक़-ए-दोस्ती अदा कीजे मौत आती नहीं कहीं, ग़ालिब कब तक अफ़सोस जीस्त का कीजे -मिर्ज़ा ग़ालिब ©¶ Sagar

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