प्यार देदो सज़ा देदो या कोई रज़ा देदो मुझे,
शायरी लिखनी हैं कोई ग़म हीं देदो मुझे
मोहब्बत मेरी ठुकरा कर गई हों जो तुम,
यार अपनी सहेली का नम्बर हीं देदो मुझे
यक़ीनन छोड़ दूंगा प्यार करना मैं तुझसे,
नफ़रत करने की कोई वजह हीं देदो मुझे
जाओ उम्र भर का साथ नहीं मांगता हूं मैं,
तुम अपनी ज़िंदगी का इक पल हीं देदो मुझे
दूर गर जा रहे हों हमेशा हमेशा के लिए तुम,
जानम जाते जाते इक बोसा हीं देदो मुझे
और अब रकीब की बाहों में ख़ुश हो गर तुम,
तो अपनी मोहब्बत से आजादी हीं देदो मुझे
©राहुल पटेल गुर्जर