अब और किसी के कांधों पर चढ़कर अंबर की ऊंचाई ना चाह | हिंदी शायरी

"अब और किसी के कांधों पर चढ़कर अंबर की ऊंचाई ना चाहूंगा । मैं मिट्टी का था मिट्टी का हूॅं मैं मिट्टी का ही बनकर रहना चाहूंगा।।                     अम्बिका मिश्र'प्रखर' ©अम्बिका मिश्र प्रखर"

 अब और किसी के कांधों पर चढ़कर अंबर की ऊंचाई ना चाहूंगा ।
मैं मिट्टी का था मिट्टी का हूॅं मैं मिट्टी का ही बनकर रहना चाहूंगा।।
                    अम्बिका मिश्र'प्रखर'

©अम्बिका मिश्र प्रखर

अब और किसी के कांधों पर चढ़कर अंबर की ऊंचाई ना चाहूंगा । मैं मिट्टी का था मिट्टी का हूॅं मैं मिट्टी का ही बनकर रहना चाहूंगा।।                     अम्बिका मिश्र'प्रखर' ©अम्बिका मिश्र प्रखर

#Haqiqat

People who shared love close

More like this

Trending Topic