एक रोज मालूम हुआ.... फिर रोज मालूम हुआ.... इमरोज म
"एक रोज मालूम हुआ....
फिर रोज मालूम हुआ....
इमरोज मालूम हुआ......
वो नाव मामूली पतले कागज़ की थी जिसने बचपन को सहारा दिया.....
पर व्यर्थ कुछ नही था
उसी कागज़ पे लिखना जो शुरू कर दिया हैं बादस्तूऱ निखरना शुरु कर दिया है।।"
एक रोज मालूम हुआ....
फिर रोज मालूम हुआ....
इमरोज मालूम हुआ......
वो नाव मामूली पतले कागज़ की थी जिसने बचपन को सहारा दिया.....
पर व्यर्थ कुछ नही था
उसी कागज़ पे लिखना जो शुरू कर दिया हैं बादस्तूऱ निखरना शुरु कर दिया है।।