अपनी अपनी मंजिल अपने अपने रास्ते। कही अपने अजनबी | हिंदी कविता
"अपनी अपनी मंजिल
अपने अपने रास्ते।
कही अपने अजनबी से,
कहीं अजनबी से वास्ते।
अपनी अपनी मंजिल,
अपने अपने रास्ते।
कोई मांगता खुद के लिए खुदा से,
कोई दुंडता खुशियां ऑरो के वास्ते।
अपनी अपनी मंजिल,
अपने अपने रास्ते।"
अपनी अपनी मंजिल
अपने अपने रास्ते।
कही अपने अजनबी से,
कहीं अजनबी से वास्ते।
अपनी अपनी मंजिल,
अपने अपने रास्ते।
कोई मांगता खुद के लिए खुदा से,
कोई दुंडता खुशियां ऑरो के वास्ते।
अपनी अपनी मंजिल,
अपने अपने रास्ते।