एक स्त्री सुंदर दिखाई पड़ती है।
मगर कितनी देर सुंदर रहेगी?
अगर मिल गई तो जल्दी ही साधारण हो जाएगी। दो-चार दिन सौंदर्य चलता है।
चमड़ी कितने दिन आकर्षण में रखती है?
सुंदर कार दिखाई पड़ गई, खरीद लिया। कितनी देर सुंदर रहेगी? दस-पांच दिन। खड़ी-खड़ी पोर्च में साधारण हो जाती है। हमने कितनी चीजों पर तो बैठकर देख लिया।
गंध कितनी देर टिकती है? हम बैठे नहीं कि गंध गई नहीं।
इस संसार में तो हम भंवरे की तरह हैं।
और यहां हजार फूलों में कभी कोई एकाध फूल है जिसमें थोड़ी-बहुत गंध होती है। वह भी क्षणभंगुर होती है। वह भी टिकती नहीं। वह भी दूर से बड़ी लुभावनी, पास आने पर बिलकुल समाप्त हो जाती है। बड़ी मृगतृष्णा जैसी।
©Gulshan Kumar
#MountainPeak