रिश्तों की ये डोर देखो,         &nb

"रिश्तों की ये डोर देखो,               इनमें कहीं गांठ तो नही…! तुम भी चाहो हमें टूटकर,                  तुम्हारे लीये ये जरूरी नही…! कहती तो एक बार में खुद ही सम्भल जाता,                 पथिक हूँ तेरी कोई मजबूरी नही…! मांगता हूं तेरे रब से की फिर मिलना ना हो,                  तेरे झूठ में फिर से दिल का बहकना ना हो..! भीग लेता हूँ बारिश में डर है कि कहीं ये थम ना जाए,                 कतरा कतरा आँशु भी तेरे नाम का फिर दिख ना जाए..! अधूरी कहानी तुम बिन पूरी तो नही,            तुम भी चाहती हमें ये जरूरी भी तो नही..! में सोचता नही तुम पर कुछ भी लिखूं         सिर्फ तुमें सोच ये बात आखर-2 में बह जाती..! एक पथिक सुमन भट्ट..✍️"

 रिश्तों की ये डोर देखो,
                                            इनमें कहीं गांठ तो नही…!
तुम भी चाहो हमें टूटकर,
                                        तुम्हारे लीये ये जरूरी  नही…!
कहती तो एक बार में खुद ही सम्भल जाता,
                                   पथिक हूँ  तेरी कोई मजबूरी  नही…!
मांगता हूं तेरे रब से की फिर मिलना ना हो,
                                तेरे झूठ में फिर से दिल का बहकना ना हो..!
भीग लेता हूँ बारिश में डर है कि कहीं ये थम ना जाए,
                                 कतरा कतरा आँशु भी तेरे नाम का फिर दिख ना जाए..!
अधूरी कहानी तुम बिन पूरी तो नही,
                                     तुम भी चाहती हमें ये जरूरी भी तो नही..!
में सोचता नही तुम पर कुछ भी लिखूं 
                                       सिर्फ तुमें सोच ये बात आखर-2 में बह जाती..!


                                                 एक पथिक सुमन भट्ट..✍️

रिश्तों की ये डोर देखो,               इनमें कहीं गांठ तो नही…! तुम भी चाहो हमें टूटकर,                  तुम्हारे लीये ये जरूरी नही…! कहती तो एक बार में खुद ही सम्भल जाता,                 पथिक हूँ तेरी कोई मजबूरी नही…! मांगता हूं तेरे रब से की फिर मिलना ना हो,                  तेरे झूठ में फिर से दिल का बहकना ना हो..! भीग लेता हूँ बारिश में डर है कि कहीं ये थम ना जाए,                 कतरा कतरा आँशु भी तेरे नाम का फिर दिख ना जाए..! अधूरी कहानी तुम बिन पूरी तो नही,            तुम भी चाहती हमें ये जरूरी भी तो नही..! में सोचता नही तुम पर कुछ भी लिखूं         सिर्फ तुमें सोच ये बात आखर-2 में बह जाती..! एक पथिक सुमन भट्ट..✍️

जरूरी तो नही

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