एक पथिक ...✍️

एक पथिक ...✍️

पढोगे तो लिखूं...सुनोगे तो गुनगुना भी दूँ... ओर कविता के लिए लिंक खोलें 👇👇 यूट्यूब पर भी देखें https://youtu.be/0nwJZh6DvKg

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मेरे साथ दुनिया वाले वो इत्तेफाक नही होते......! सुबह के सपने सब कहतें है सच हो जातें है... जानती हो तो बताना..... मेरे ख्वाब पूरे क्यों नही होते.........?

#विचार #leaf  मेरे साथ दुनिया वाले वो इत्तेफाक नही होते......!

                          सुबह के सपने सब कहतें है सच हो जातें है...
    जानती हो तो बताना.....
               मेरे ख्वाब पूरे क्यों नही होते.........?

#leaf

15 Love

टूटे बिखरे ख्वाबों का श्मशान नजर आता हूँ, देखो ना मुझे अब कितना उजड़ा कितना वीरान नजर आता हूँ…! इतना लड़ा जमाना से की वो अब डर कर सहम गया होगा, हर मोड़ पर है श्मशान वो जिंदा बच के कहाँ गया होगा..! चन्द खुशियाँ ने बहुत इंतजार करवाया जिसने, मारके वो ख्वाबों को अब लगता है वो अब जिंदा होगा.. नाखुनो के निशान बहता लहुँ देखकर, हकीमों के पास भी इलाज नही जिसका, वो अपने जख्म लेकर कभी इधर तो कभी उधर भटका होगा..! बहुत बेरहमी से उजाड़ते गए ये दुनिया मेरी, तुम्ही को हो मुबार ये दुनिया तेरी, में तो अब इसे कब्रिस्तान कहता हूं..! मखोटा से अब चेहरा को छुपा के मिलना, सच जैसा फिर भरोसा दिला कर बोलना,  मुझे झूठा साबित कर बोलना, अब फिर फरेबी बातें करनी हो तो नजर मिला कर बोलना..! एक पथिक सुमन भट्ट...✍️

#शायरी  टूटे बिखरे ख्वाबों का श्मशान नजर आता हूँ,
देखो ना मुझे अब कितना उजड़ा कितना वीरान नजर आता हूँ…!

इतना लड़ा जमाना से की वो अब डर कर सहम गया होगा,
हर मोड़ पर है श्मशान वो जिंदा बच के कहाँ गया होगा..!

चन्द खुशियाँ ने बहुत इंतजार करवाया जिसने,
मारके वो ख्वाबों को अब लगता है वो अब जिंदा होगा..

नाखुनो के निशान बहता लहुँ देखकर,
हकीमों के पास भी इलाज नही जिसका, 
वो अपने जख्म लेकर कभी इधर तो कभी उधर भटका होगा..!

बहुत बेरहमी से उजाड़ते गए ये दुनिया मेरी,
तुम्ही को हो मुबार ये दुनिया तेरी, 
में तो अब इसे कब्रिस्तान कहता हूं..!

मखोटा से अब चेहरा को छुपा के मिलना, 
सच जैसा फिर भरोसा दिला कर बोलना,
 मुझे झूठा साबित कर बोलना, 
अब फिर फरेबी बातें करनी हो तो नजर मिला कर बोलना..!


                                                                          एक पथिक सुमन भट्ट...✍️

श्मशान नजर आता हूँ

12 Love

झूठ को तेरे मैने इश्क को हराते देखा है, तेरी महोब्बत को मैने सरे बाजार देखा है, कुछ तेरी तस्वीरों से पूछ कर देखा है,             याद आती है बहुत, आँशुओं को पोछ सूखा देगी क्या…? एक पथिक सुमन भट्ट...✍️

#अनुभव  झूठ को तेरे मैने इश्क को हराते देखा है,
तेरी महोब्बत को मैने सरे बाजार देखा है,
                       कुछ तेरी तस्वीरों से पूछ कर देखा है, 
           याद आती है बहुत, आँशुओं को पोछ सूखा देगी क्या…?


                                             एक पथिक सुमन भट्ट...✍️

झूठ को तेरे

14 Love

हो तो रसीले माना काटों की बाढ़ भी लगा लोगे...            हमसे रशिक हैं जो जमीं के उसने भी बचा लोगे....! पर अशामा तो पूरा खुला है दोस्त .....                 उड़ते हैवानों से कैसे बचा लोगे……!! माना टुकड़ा टुकड़ा खरीद भी लो जमीं का...                 अशामान का हवा बादल वो जोखिम कैसे खरीदोगे….! खरीदार तो बहुत मिलेंगे तुमको जहां में जिस्म के,                       पूछता हूँ तुमसे प्यार के हकदार कहाँ से लाओगे...!! एक पथिक सुमन भट्ट...✍️

 हो तो रसीले माना काटों की बाढ़ भी लगा लोगे...
                                       हमसे रशिक हैं जो जमीं के उसने भी बचा लोगे....!
पर अशामा तो पूरा खुला है दोस्त .....                
                             उड़ते हैवानों से कैसे बचा लोगे……!!   
          
माना टुकड़ा टुकड़ा खरीद भी लो जमीं का...       
                                             अशामान का हवा बादल वो जोखिम कैसे खरीदोगे….!
खरीदार तो बहुत मिलेंगे तुमको जहां में जिस्म के,
                                             पूछता हूँ तुमसे प्यार के हकदार कहाँ से लाओगे...!!                
 


                                                                       एक पथिक सुमन भट्ट...✍️

कैसे लाओगे

10 Love

रिश्तों की ये डोर देखो,               इनमें कहीं गांठ तो नही…! तुम भी चाहो हमें टूटकर,                  तुम्हारे लीये ये जरूरी नही…! कहती तो एक बार में खुद ही सम्भल जाता,                 पथिक हूँ तेरी कोई मजबूरी नही…! मांगता हूं तेरे रब से की फिर मिलना ना हो,                  तेरे झूठ में फिर से दिल का बहकना ना हो..! भीग लेता हूँ बारिश में डर है कि कहीं ये थम ना जाए,                 कतरा कतरा आँशु भी तेरे नाम का फिर दिख ना जाए..! अधूरी कहानी तुम बिन पूरी तो नही,            तुम भी चाहती हमें ये जरूरी भी तो नही..! में सोचता नही तुम पर कुछ भी लिखूं         सिर्फ तुमें सोच ये बात आखर-2 में बह जाती..! एक पथिक सुमन भट्ट..✍️

 रिश्तों की ये डोर देखो,
                                            इनमें कहीं गांठ तो नही…!
तुम भी चाहो हमें टूटकर,
                                        तुम्हारे लीये ये जरूरी  नही…!
कहती तो एक बार में खुद ही सम्भल जाता,
                                   पथिक हूँ  तेरी कोई मजबूरी  नही…!
मांगता हूं तेरे रब से की फिर मिलना ना हो,
                                तेरे झूठ में फिर से दिल का बहकना ना हो..!
भीग लेता हूँ बारिश में डर है कि कहीं ये थम ना जाए,
                                 कतरा कतरा आँशु भी तेरे नाम का फिर दिख ना जाए..!
अधूरी कहानी तुम बिन पूरी तो नही,
                                     तुम भी चाहती हमें ये जरूरी भी तो नही..!
में सोचता नही तुम पर कुछ भी लिखूं 
                                       सिर्फ तुमें सोच ये बात आखर-2 में बह जाती..!


                                                 एक पथिक सुमन भट्ट..✍️

जरूरी तो नही

13 Love

आधी अधूरी रात में, याद कभी जब तुमको आएंगे…! मावस्य की उस स्याह रात में, चाह भी तुम मिल ना मिल पाओगी…! उन खामोशियाँ में दबी चीख को, तब तुम सुन ना पाओगी…..! छुपा हुआ इन शब्दों में,  पर तुम देख ना मुझको पाओगी….! जब कहता था थी तुम तब बहरी थी, सच-झूठ घावों पीड़ा गहरी थी….! अब में इस धरा में जीवित नही, तब बता सब राज क्या कर जाओगी...! पर हम अब क्या कर पाएंगे, मुझे मालूम है एक दिन तुम भी पछताओगी..! कुछ लिख पढ़ कर छोड़ गया हूँ, क्या तुम अब उसे सुन समझ पाओगी..! ये चन्द लाइन सुनना-पढ़ना मेरी,  जीन पर मेरा खून सना है…! बहुत लिखा है इश्क महोब्बत प्यार वफ़ा पर, क्या अब इन शब्दों को पूरा कर पाओगी…! वो डायरी ढूढ़ना तू मेरी, जिस में मेरी अधूरी तलाश लिखी है…! जरा दिल से पढ़ना हर आखर को, जिनमें मेरी खामोसी  चीख रही है…! अफसोस कि तू समझ ना पाया,  हर आखर आखर में पीर छुपी  है …! पूछ के देखना हर पंगती को,  धमनी सी जो अब मर्त पड़ी है….! सच ही सोचा तुमने की मर जाऊंगा,  तिनका तिनका सा उड़ जाऊंगा…! खून से मैने रंग भरा है,  इन लफ्जों में तेरा दिया दर्द भरा है….!!                                                     एक पथिक सुमन भट्ट...✍️

#शायरी  आधी अधूरी रात में, याद कभी जब तुमको आएंगे…!
मावस्य की उस स्याह रात में, चाह भी तुम मिल ना मिल पाओगी…!
उन खामोशियाँ में दबी चीख को, तब तुम सुन ना पाओगी…..!
छुपा हुआ इन  शब्दों  में,  पर तुम देख ना मुझको पाओगी….!
जब कहता था थी तुम तब बहरी थी, सच-झूठ घावों पीड़ा गहरी थी….!
अब में इस धरा में जीवित नही, तब बता सब राज क्या कर जाओगी...!
पर हम अब क्या कर पाएंगे, मुझे मालूम है एक दिन तुम भी पछताओगी..!
कुछ लिख पढ़ कर छोड़ गया हूँ, क्या तुम अब उसे सुन समझ पाओगी..!
ये चन्द लाइन सुनना-पढ़ना मेरी,  जीन पर मेरा खून सना है…!
बहुत लिखा है इश्क महोब्बत प्यार वफ़ा पर, क्या अब इन शब्दों को पूरा कर पाओगी…!
वो डायरी ढूढ़ना तू मेरी, जिस में मेरी अधूरी तलाश लिखी है…!
जरा दिल से पढ़ना हर आखर को, जिनमें मेरी खामोसी  चीख रही है…!
अफसोस कि तू समझ ना पाया,  हर आखर आखर में पीर छुपी  है …!
पूछ के देखना हर पंगती को,  धमनी सी जो अब मर्त पड़ी है….!
सच ही सोचा तुमने की मर जाऊंगा,  तिनका तिनका सा उड़ जाऊंगा…!
खून से मैने रंग भरा है,  इन लफ्जों में  तेरा दिया  दर्द भरा है….!!

                                                    एक पथिक सुमन भट्ट...✍️

अफसोस तू सुन ना पाओगी

16 Love

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