हो तो रसीले माना काटों की बाढ़ भी लगा लोगे...
हमसे रशिक हैं जो जमीं के उसने भी बचा लोगे....!
पर अशामा तो पूरा खुला है दोस्त .....
उड़ते हैवानों से कैसे बचा लोगे……!!
माना टुकड़ा टुकड़ा खरीद भी लो जमीं का...
अशामान का हवा बादल वो जोखिम कैसे खरीदोगे….!
खरीदार तो बहुत मिलेंगे तुमको जहां में जिस्म के,
पूछता हूँ तुमसे प्यार के हकदार कहाँ से लाओगे...!!
एक पथिक सुमन भट्ट...✍️
कैसे लाओगे