तेरी कीर्ति यश गौरव से मैं जग को विदित कराता हूं ज
"तेरी कीर्ति यश गौरव से मैं जग को विदित कराता हूं
जो इंकलाब कभी जन्मा था मैं उसको फिर दोहराता हूं
ऐ भारतवासी सब धर्म सुनो तुम शीश झुका जयकार करो
है उच्च धर्म जय भारत बोलो बस मैं इतना ही समझाता हूं ॥
जय हिंद🇮🇳🇮🇳
हृदयवाणी। श्रीकांत पचहरा"
तेरी कीर्ति यश गौरव से मैं जग को विदित कराता हूं
जो इंकलाब कभी जन्मा था मैं उसको फिर दोहराता हूं
ऐ भारतवासी सब धर्म सुनो तुम शीश झुका जयकार करो
है उच्च धर्म जय भारत बोलो बस मैं इतना ही समझाता हूं ॥
जय हिंद🇮🇳🇮🇳
हृदयवाणी। श्रीकांत पचहरा