जूनून_की_एक_कहानी....
"है हिम्मत मुझमें शेष अभी, कुछ करने की कुछ बनने की"
मेरी कहानी, मेरी ज़ुबानी। लगभग तीन वर्ष पूर्व, एक सड़क हादसे में रीढ़ में गंभीर चोट आई और उसने मेरे पैरों की ताकत छीन ली। बचपन से ही लोग मुझे बहुत होनहार कहा करते थें लेकिन मैं मानता हूँ कि मुझे अपनी प्रतिभा दिखाने का सही अवसर अब मिला था। दिव्यांगता के बाद भी मेरा हौसला पहले जैसा ही था, मेरे इरादे भी पहले जैसे थे, लेकिन..... मेरे ज़ुनून में बेतहाशा वृद्धि हो चुकी है। अब मैं और भी शशक्त हो चूका हूँ।
समाज में लोग दिव्यांगता को बहुत बुरी दृष्टि से देखते हैं लेकिन मेरा मानना है कि दिव्यांगों में सामान्य लोग की अपेक्षा और अधिक उत्साह और ज़ुनून होता है।
"भीड़ नहीं बनना है मुझको,
मुझको भी कुछ करना है।
कम ना आँके कोई मुझको,
देश हेतु मर मिटना है।
#kalamkaar