Mohd Sarim

Mohd Sarim Lives in Azamgarh, Uttar Pradesh, India

"खुश हूँ मैं ज़िंदगी से, है इक गिला मगर, छोटा-सा मेरा दिल है, कब तक ये सब सहेगा।"

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अलविदा अबरार आज़मी शायर, अदीब और थें, जो इल्म के धनी, कोई न और थें, वो थें अबरार आज़मी। बेशक़ न हों वो आज, हम सब के बीच में, ज़िंदा रहेंगी यादें, किताबों के रूप में। चाहत वतन की दिल में, थी इस कदर भरी, पैदा हुए जहाँ वहीं, तदफीन भी हुई। मुद्दत पे पैदा होती, हैं ऐसी शख्सियत, जिनके दिलों में होती हैं, हर शय की अहमियत।

 अलविदा अबरार आज़मी

शायर, अदीब और थें, जो इल्म के धनी,
कोई न और थें, वो थें अबरार आज़मी।
बेशक़ न हों वो आज, हम सब के बीच में,
ज़िंदा रहेंगी यादें, किताबों के रूप में।

चाहत वतन की दिल में, थी इस कदर भरी,
पैदा हुए जहाँ वहीं, तदफीन भी हुई।
मुद्दत पे पैदा होती, हैं ऐसी शख्सियत,
जिनके दिलों में होती हैं, हर शय की अहमियत।

अलविदा अबरार आज़मी शायर, अदीब और थें, जो इल्म के धनी, कोई न और थें, वो थें अबरार आज़मी। बेशक़ न हों वो आज, हम सब के बीच में, ज़िंदा रहेंगी यादें, किताबों के रूप में। चाहत वतन की दिल में, थी इस कदर भरी, पैदा हुए जहाँ वहीं, तदफीन भी हुई। मुद्दत पे पैदा होती, हैं ऐसी शख्सियत, जिनके दिलों में होती हैं, हर शय की अहमियत।

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शायर, नक़ाद और थें जो इल्म के धनी, कोई न और थें, वो थें अबरार आज़मी। बेशक न हों वो आज, हम सब के बीच में, ज़िंदा रहेगी यादें, किताबों के रूप में।

 शायर, नक़ाद और थें जो इल्म के धनी,
कोई न और थें, वो थें अबरार आज़मी।
बेशक न हों वो आज, हम सब के बीच में,
ज़िंदा रहेगी यादें, किताबों के रूप में।

शायर, नक़ाद और थें जो इल्म के धनी, कोई न और थें, वो थें अबरार आज़मी। बेशक न हों वो आज, हम सब के बीच में, ज़िंदा रहेगी यादें, किताबों के रूप में।

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जूनून_की_एक_कहानी.... "है हिम्मत मुझमें शेष अभी, कुछ करने की कुछ बनने की" मेरी कहानी, मेरी ज़ुबानी। लगभग तीन वर्ष पूर्व, एक सड़क हादसे में रीढ़ में गंभीर चोट आई और उसने मेरे पैरों की ताकत छीन ली। बचपन से ही लोग मुझे बहुत होनहार कहा करते थें लेकिन मैं मानता हूँ कि मुझे अपनी प्रतिभा दिखाने का सही अवसर अब मिला था। दिव्यांगता के बाद भी मेरा हौसला पहले जैसा ही था, मेरे इरादे भी पहले जैसे थे, लेकिन..... मेरे ज़ुनून में बेतहाशा वृद्धि हो चुकी है। अब मैं और भी शशक्त हो चूका हूँ। समाज में लोग दिव्यांगता को बहुत बुरी दृष्टि से देखते हैं लेकिन मेरा मानना है कि दिव्यांगों में सामान्य लोग की अपेक्षा और अधिक उत्साह और ज़ुनून होता है। "भीड़ नहीं बनना है मुझको, मुझको भी कुछ करना है। कम ना आँके कोई मुझको, देश हेतु मर मिटना है।

#kalamkaar  जूनून_की_एक_कहानी....


"है हिम्मत मुझमें शेष अभी, कुछ करने की कुछ बनने की"


मेरी कहानी, मेरी ज़ुबानी। लगभग तीन वर्ष पूर्व, एक सड़क हादसे में रीढ़ में गंभीर चोट आई और उसने मेरे पैरों की ताकत छीन ली। बचपन से ही लोग मुझे बहुत होनहार कहा करते थें लेकिन मैं मानता हूँ कि मुझे अपनी प्रतिभा दिखाने का सही अवसर अब मिला था। दिव्यांगता के बाद भी मेरा हौसला पहले जैसा ही था, मेरे इरादे भी पहले जैसे थे, लेकिन..... मेरे ज़ुनून में बेतहाशा वृद्धि हो चुकी है। अब मैं और भी शशक्त हो चूका हूँ।

समाज में लोग दिव्यांगता को बहुत बुरी दृष्टि से देखते हैं लेकिन मेरा मानना है कि दिव्यांगों में सामान्य लोग की अपेक्षा और अधिक उत्साह और ज़ुनून होता है।

"भीड़ नहीं बनना है मुझको,
मुझको भी कुछ करना है।
कम ना आँके कोई मुझको,
देश हेतु मर मिटना है।

#kalamkaar

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Sailing the little boats, I found something. A thing which is unique, from everything. A joy, a hope and a satisfaction, Which can never be found, in anything. A joy which gives, a better feeling. For me it will, be everlasting. A hope which gives consolation, To every dream, which is upcoming. The boat for me, is still sailing. Though I have reached, an old ageing. The boat will give delectation, To young and old and every being. Sailing the little boats, I found something. A thing which is unique, from everything.

 Sailing the little boats, I found something.
A thing which is unique, from everything.
A joy, a hope and a satisfaction,
Which can never be found, in anything.

A joy which gives, a better feeling.
For me it will, be everlasting.
A hope which gives consolation,
To every dream, which is upcoming.

The boat for me, is still sailing.
Though I have reached, an old ageing.
The boat will give delectation,
To young and old and every being.

Sailing the little boats, I found something.
A thing which is unique, from everything.

Sailing the little boats, I found something. A thing which is unique, from everything. A joy, a hope and a satisfaction, Which can never be found, in anything. A joy which gives, a better feeling. For me it will, be everlasting. A hope which gives consolation, To every dream, which is upcoming. The boat for me, is still sailing. Though I have reached, an old ageing. The boat will give delectation, To young and old and every being. Sailing the little boats, I found something. A thing which is unique, from everything.

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#Pehlealfaaz मेरे #पहले_अल्फ़ाज़ उस कलम के नाम जिसने मुझे दी एक नई पहचान। जब मैं लिखने बैठता हूँ, ये कलम रूकती नहीं। जब मैं कहता हूँ ठहर जा, ये कलम बढ़ती नहीं। जब मैं लिखता हूँ 'फ़साने', ये कलम चलती नहीं। जब मैं लिखता हूँ 'तराने', ये कलम थकती नहीं। इस कलम की क्या है हसरत, ये कलम कहती नहीं।

#पहले_अल्फ़ाज़ #Pehlealfaaz  #Pehlealfaaz मेरे #पहले_अल्फ़ाज़ उस कलम के नाम जिसने मुझे दी  एक नई पहचान।


जब मैं लिखने बैठता हूँ,
ये कलम रूकती नहीं।

जब मैं कहता हूँ ठहर जा,
ये कलम बढ़ती नहीं।

जब मैं लिखता हूँ 'फ़साने',
ये कलम चलती नहीं।

जब मैं लिखता हूँ 'तराने',
ये कलम थकती नहीं।

इस कलम की क्या है हसरत,
ये कलम कहती नहीं।

#Pehlealfaaz माँ मुझे बाहों में भर लो, अपने आँचल में छिपा लो। तेरे जैसा प्यार देना, किसको आता है जहाँ में? तेरे जैसी ममता मिलना, है बहुत मुश्किल जहाँ में। तेरे जैसा ख्याल रखना, किसको आता है जहाँ में? तेरी ठंडी छाया मिलना, है बहुत मुश्किल जहाँ में। माँ नहीं दुनिया में जिसकी, उसका पूछो हाल-ए दिल। माँ नहीं मौजूद जिसकी, कैसे सहता है वो मुश्किल। ऐ खुदा रखना सलामत, माँ के साए को हमेशा। इक यही है मेरी मन्नत, इक यही है इल्तिज़ा।

#Pehlealfaaz #माँ #poem  #Pehlealfaaz  माँ मुझे बाहों में भर लो,
अपने आँचल में छिपा लो।

तेरे जैसा प्यार देना,
किसको आता है जहाँ में?
तेरे जैसी ममता मिलना,
है बहुत मुश्किल जहाँ में।

तेरे जैसा ख्याल रखना,
किसको आता है जहाँ में?
तेरी ठंडी छाया मिलना,
है बहुत मुश्किल जहाँ में।

माँ नहीं दुनिया में जिसकी,
उसका पूछो हाल-ए दिल।
माँ नहीं मौजूद जिसकी,
 कैसे सहता है वो मुश्किल।

ऐ खुदा रखना सलामत,
माँ के साए को हमेशा।
इक यही है मेरी मन्नत,
इक यही है इल्तिज़ा।
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