बाज भी जी भर छू लेता आकाश को साँझ ढले फिर आ जाता न | हिंदी Life

"बाज भी जी भर छू लेता आकाश को साँझ ढले फिर आ जाता नीचे घरोंदे में ऊंचाई हासिल कर लो जितनी भी यारों स्वागत को इंसान यहीं जमीं पे मिलेंगें ©Mahadev Son"

 बाज भी जी भर छू लेता आकाश को
साँझ ढले फिर आ जाता नीचे घरोंदे में

ऊंचाई हासिल कर लो जितनी भी यारों स्वागत को इंसान यहीं जमीं पे मिलेंगें

©Mahadev Son

बाज भी जी भर छू लेता आकाश को साँझ ढले फिर आ जाता नीचे घरोंदे में ऊंचाई हासिल कर लो जितनी भी यारों स्वागत को इंसान यहीं जमीं पे मिलेंगें ©Mahadev Son

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बाज भी जी भर छू लेता आकाश को
साँझ ढले फिर आ जाता नीचे घरोंदे में......

ऊंचाई हासिल कर लो जितनी भी यारों
स्वागत को इंसान जमीं पे ही मिलेंगें....

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