"शत्रु" हारेगा, "हम" जीतेंगे..."शत्रु" हारेगा, "हम" जीतेंगे
हैं दिन ये कुछ इम्तिहान के, तू रख संयम, ये बीतेंगे
"हम" जीतेंगे, "हम" जीतेंगे, "वो" हारेगा, "हम" जीतेंगे
छटेगा ये घनघोर अँधेरा, होगा फिर एक स्वस्थ सवेरा,
जन-शून्य हुई माटी में, लौटेगा फिर ख़ुशियों का डेरा,
संकट की अग्नि में तप कर, कुंदन बन फिर निखरेंगे,
"हम" जीतेंगे, "हम" जीतेंगे, "वो" हारेगा, "हम" जीतेंगे
रौनक होगी फिर बाजारों में, सजेगी बस्ती तीज त्योहारों में,
मस्ती में टोलियाँ घूमेंगी, चौपालें फिर हास्य में झूमेगी,
सुनके शोर हमारे मंसूबों का, हौसले सन्नाटों के टूटेंगे
"हम" जीतेंगे, "हम" जीतेंगे, "वो" हारेगा, "हम" जीतेंगे
होगी भक्ति पुनः शिवालों में, स्वाद होगा रूखे निवालों में
मुरादें मज़ारों को चूमेंगी, गुरूवाणी फिर कानों में गूंजेंगी
विपदा की निर्मोही आँधी में, हम मिलकर लड़ना सीखेंगे
"हम" जीतेंगे, "हम" जीतेंगे, "वो" हारेगा, "हम" जीतेंगे
फैलाकर बाहें मंजिलें आएंगी, चहुं ओर बहारें छाएंगी
बढ़ेंगे हम फिर से लक्ष्यों की ओर, थामेंगे फिर अपने सपनों की डोर
थमें मुल्क़ के इन पहियों को, हम बन सारथी खीचेंगे
"हम" जीतेंगे, "हम" जीतेंगे, "वो" हारेगा, "हम" जीतेंगे
हम उठे हैं गिरकर हर दफ़ा, बेशक़ ये जंग भी जीतेंगे,
विरुद्ध प्रकृति के प्रकोप के, हम गीत विजय का लिखेंगे
"शत्रु" हारेगा, "हम" जीतेंगे, "वो" हारेगा, "हम" जीतेंगे
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