White जब बढ़ने लगती है दूरियां गुजरे यादों की घड़िया | हिंदी विचार

"White जब बढ़ने लगती है दूरियां गुजरे यादों की घड़ियां हिलोरे सा मचलती है हम जिन्हें अक्सर नकारते थे अब वो सुनहरे पल और सुकूँ की घड़ियां नजर आते हैं मुस्कुरा लेते अगर कमियों के बावजूद यादें और यादगार हो जाते थमते तो कुछ भी नही महज़ यादों के बची रह जाती हैं महज आपसी लगाव जो बिछड़ने के बाद भी जोड़े रहते है एक दूसरे वरना मिलते तो है हजारों बाजार में हम खोते है सुनहरे पलों को कमियां निकलने में कमियां सुधरती है वंहा ,हमे निकल जाने पर। ©Arun kr."

 White जब बढ़ने लगती है दूरियां
गुजरे यादों की घड़ियां
हिलोरे सा मचलती है
हम जिन्हें  अक्सर नकारते थे
अब वो सुनहरे पल और सुकूँ की घड़ियां नजर आते हैं
मुस्कुरा लेते अगर  कमियों के बावजूद यादें और यादगार हो जाते
थमते तो कुछ भी नही महज़ यादों के
बची रह जाती हैं महज आपसी लगाव
जो बिछड़ने के बाद भी जोड़े रहते है एक दूसरे
वरना मिलते तो है हजारों बाजार में 
हम खोते है सुनहरे पलों को कमियां निकलने में
कमियां सुधरती है वंहा ,हमे निकल जाने पर।

©Arun kr.

White जब बढ़ने लगती है दूरियां गुजरे यादों की घड़ियां हिलोरे सा मचलती है हम जिन्हें अक्सर नकारते थे अब वो सुनहरे पल और सुकूँ की घड़ियां नजर आते हैं मुस्कुरा लेते अगर कमियों के बावजूद यादें और यादगार हो जाते थमते तो कुछ भी नही महज़ यादों के बची रह जाती हैं महज आपसी लगाव जो बिछड़ने के बाद भी जोड़े रहते है एक दूसरे वरना मिलते तो है हजारों बाजार में हम खोते है सुनहरे पलों को कमियां निकलने में कमियां सुधरती है वंहा ,हमे निकल जाने पर। ©Arun kr.

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