कितने जुगनू उड़े मन से संसार की माया में चमके भीतर | हिंदी कविता

"कितने जुगनू उड़े मन से संसार की माया में चमके भीतर को भरमाए सपनो पर धूल उड़ाए मन तनिक बहलाए किन्तु भविष्य धुमिल कर गए ©Kavitri mantasha sultanpuri"

 कितने जुगनू उड़े मन से
संसार की माया में चमके
भीतर को भरमाए
सपनो पर धूल उड़ाए
मन तनिक बहलाए
किन्तु भविष्य धुमिल कर गए

©Kavitri mantasha sultanpuri

कितने जुगनू उड़े मन से संसार की माया में चमके भीतर को भरमाए सपनो पर धूल उड़ाए मन तनिक बहलाए किन्तु भविष्य धुमिल कर गए ©Kavitri mantasha sultanpuri

#Mankimaya
#KavitriMantashaSultanpuri

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