Kavitri mantasha sultanpuri

Kavitri mantasha sultanpuri

Poetess, Authoress, Philospher, Advocate The biggest happiness of everyday of my life is my poetical words from inside pain, poetry is not finance for me, it is a shower of my heart❤

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White हमने कब चाहा था नूपुर घन सघन बजे जब कोई रस ना था जब भी तृषा ना बड़ी बस अनंत एक समतल था जहाँ मौन मुझे घेरे खड़ा और प्रीत दूजा कौन था करुणा अंबर फाड़ बरसती शून्य में फैला यही अनंत था ©Kavitri mantasha sultanpuri

#KavitriMantashaSultanpuri #hmne_kab_chaha_tha #कविता #hindikavita #sadpoetry  White हमने कब चाहा था
नूपुर घन सघन बजे 
जब कोई रस ना था
जब भी तृषा ना बड़ी
बस अनंत एक समतल था
जहाँ मौन मुझे घेरे खड़ा
और प्रीत दूजा कौन था
करुणा अंबर फाड़ बरसती
शून्य में फैला यही अनंत था

©Kavitri mantasha sultanpuri

कितनी भी बार प्राजय हो किन्तु हौसलें कम नहीं होने चाहिए .. यही अंतिम सीढ़ी तक पहुँचाते है ©Kavitri mantasha sultanpuri

#स्मृति_रहे #KavitriMantashaSultanpuri #विचार  कितनी भी बार प्राजय हो किन्तु हौसलें 
कम नहीं होने चाहिए .. यही अंतिम सीढ़ी तक
 पहुँचाते है

©Kavitri mantasha sultanpuri

कुछ करने को जब चलते निराश मन से स्वम ढर जाते भीतर कितनी उलझने बसा लेते उड़ने को हर पल आतुर रहते किन्तु भरोसा पंखों पर नहीं करते भाग्य से हर पल भिछा मांगते किन्तु भरोसा भाग्य पर नहीं करते ©Kavitri mantasha sultanpuri

#KavitriMantashaSultanpuri #कविता #निराश  कुछ करने को जब चलते
निराश मन से स्वम ढर जाते
भीतर कितनी उलझने बसा लेते
उड़ने को हर पल आतुर रहते
किन्तु भरोसा पंखों पर नहीं करते
भाग्य से हर पल भिछा मांगते
किन्तु भरोसा भाग्य पर नहीं करते

©Kavitri mantasha sultanpuri

republic day ©Kavitri mantasha sultanpuri

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कितने जुगनू उड़े मन से संसार की माया में चमके भीतर को भरमाए सपनो पर धूल उड़ाए मन तनिक बहलाए किन्तु भविष्य धुमिल कर गए ©Kavitri mantasha sultanpuri

#KavitriMantashaSultanpuri #कविता #Mankimaya  कितने जुगनू उड़े मन से
संसार की माया में चमके
भीतर को भरमाए
सपनो पर धूल उड़ाए
मन तनिक बहलाए
किन्तु भविष्य धुमिल कर गए

©Kavitri mantasha sultanpuri

सपने जो रोज़ उदय होते नयन में एक दिन यथार्थ में वो समक्ष होगें जो कुछ लिखते कोरे कागजो में एक दिन वो हर हिदय में अंकित होगें बस बंधु जो ठान सो कर यथार्थ में परिणाम सफल या असफल होगें ये छोड़ तू समय के बहाव में देखना एक रोज पथ उस ओर होगें जिस ओर हम चलेगें बहते गीतों में ©Kavitri mantasha sultanpuri

#जिस_ओर_हम_होगें #KavitriMantashaSultanpuri #कविता  सपने जो रोज़ उदय होते नयन में
एक दिन यथार्थ में वो समक्ष होगें
जो कुछ लिखते कोरे कागजो में
एक दिन वो हर हिदय में अंकित होगें
बस बंधु जो ठान सो कर यथार्थ में
परिणाम सफल या असफल होगें
ये  छोड़  तू  समय  के  बहाव  में
देखना एक रोज पथ उस ओर होगें
जिस ओर हम चलेगें बहते गीतों में

©Kavitri mantasha sultanpuri
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