मेरी मासूमियत में ढूंढ मत कमज़ोरियां मेरी हर शोर म | हिंदी कविता

"मेरी मासूमियत में ढूंढ मत कमज़ोरियां मेरी हर शोर में चुपके से सुन खामोशियाँ मेरी मैं कृष्ण की पावन धुनों का गीत बनती हूँ मन वचन और कर्म का संगीत बनती हूँ मैं हूँ जगत की रीत में एक प्रीत का धागा मैं हर घृणा पर प्रेम की ही जीत बनती हूँ -सरिता मलिक बेरवाल ©Sarita Malik Berwal"

 मेरी मासूमियत में ढूंढ मत कमज़ोरियां मेरी 
हर शोर में चुपके से सुन खामोशियाँ मेरी 
मैं कृष्ण की पावन धुनों का गीत बनती हूँ 
मन वचन और कर्म का संगीत बनती हूँ 
मैं हूँ जगत की रीत में एक प्रीत का धागा 
मैं हर घृणा पर प्रेम की ही जीत बनती हूँ
-सरिता मलिक बेरवाल

©Sarita Malik Berwal

मेरी मासूमियत में ढूंढ मत कमज़ोरियां मेरी हर शोर में चुपके से सुन खामोशियाँ मेरी मैं कृष्ण की पावन धुनों का गीत बनती हूँ मन वचन और कर्म का संगीत बनती हूँ मैं हूँ जगत की रीत में एक प्रीत का धागा मैं हर घृणा पर प्रेम की ही जीत बनती हूँ -सरिता मलिक बेरवाल ©Sarita Malik Berwal

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