मेरी मासूमियत में ढूंढ मत कमज़ोरियां मेरी
हर शोर में चुपके से सुन खामोशियाँ मेरी
मैं कृष्ण की पावन धुनों का गीत बनती हूँ
मन वचन और कर्म का संगीत बनती हूँ
मैं हूँ जगत की रीत में एक प्रीत का धागा
मैं हर घृणा पर प्रेम की ही जीत बनती हूँ
-सरिता मलिक बेरवाल
©Sarita Malik Berwal