गजल आज कल वो हमे भूल जाने लगी। हमसे नजरे भला क्य

"गजल आज कल वो हमे भूल जाने लगी। हमसे नजरे भला क्यो चुराने लगी। साथ देने का जिसने किया था वादा, अब वही हम से रिश्ता छुराने लगी। कौन-सी बात का दे रही सजा हमे, खीले गुलशन को वह मुरझाने लगी। जोड़ कर तोड़ना कोई उनसे सीखे, हमे टुटता देख वह मुस्कुराने लगी। जीस पत्थर पर नाम लिखे थे कृष्ण, वही पत्थर क्यो हम पर चलाने लगी। कवि:-कृष्ण मंडल"

 गजल 
आज कल वो हमे भूल जाने लगी। 
हमसे नजरे भला क्यो चुराने लगी।
साथ देने का जिसने किया था वादा, 
अब वही हम से रिश्ता छुराने लगी। 
कौन-सी बात का दे रही सजा हमे, 
खीले गुलशन को वह मुरझाने लगी। 
जोड़ कर तोड़ना कोई उनसे सीखे, 
हमे टुटता देख वह मुस्कुराने लगी। 
जीस पत्थर पर नाम लिखे थे कृष्ण, 
वही पत्थर क्यो हम पर चलाने लगी। 

कवि:-कृष्ण मंडल

गजल आज कल वो हमे भूल जाने लगी। हमसे नजरे भला क्यो चुराने लगी। साथ देने का जिसने किया था वादा, अब वही हम से रिश्ता छुराने लगी। कौन-सी बात का दे रही सजा हमे, खीले गुलशन को वह मुरझाने लगी। जोड़ कर तोड़ना कोई उनसे सीखे, हमे टुटता देख वह मुस्कुराने लगी। जीस पत्थर पर नाम लिखे थे कृष्ण, वही पत्थर क्यो हम पर चलाने लगी। कवि:-कृष्ण मंडल

#waiting


आज कल वो हमे भूल जाने लगी।
हमसे नजरे भला क्यो चुराने लगी।
साथ देने का जिसने किया था वादा,
अब वही हम से रिश्ता छुराने लगी।
कौन-सी बात का दे रही सजा हमे,

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