गजल
आज कल वो हमे भूल जाने लगी।
हमसे नजरे भला क्यो चुराने लगी।
साथ देने का जिसने किया था वादा,
अब वही हम से रिश्ता छुराने लगी।
कौन-सी बात का दे रही सजा हमे,
खीले गुलशन को वह मुरझाने लगी।
जोड़ कर तोड़ना कोई उनसे सीखे,
हमे टुटता देख वह मुस्कुराने लगी।
जीस पत्थर पर नाम लिखे थे कृष्ण,
वही पत्थर क्यो हम पर चलाने लगी।
कवि:-कृष्ण मंडल
#waiting
आज कल वो हमे भूल जाने लगी।
हमसे नजरे भला क्यो चुराने लगी।
साथ देने का जिसने किया था वादा,
अब वही हम से रिश्ता छुराने लगी।
कौन-सी बात का दे रही सजा हमे,
12 Love
ना कल मेरा पहचान था ना आज मेरा पहचान है।
मेरे जिस्म के किसी कोने में नहीं बचा जान है।
हमे जिसने भी मारा है पत्थर हर एक मोड़ पर,
उस ब्जम के भीड़ में कृष्ण तुम्हारा भी नाम है।
कवि:- कृष्ण मंडल
#alone
ना कल मेरा पहचान था ना आज मेरा पहचान है।
मेरे जिस्म के किसी कोने में नहीं बचा जान है।
हमे जिसने भी मारा है पत्थर हरेक मोड़ पर,
उस ब्जम के भीड़ में कृष्ण तुम्हारा भी नाम है।
कवि:- कृष्ण मंडल
12 Love
तोहार नयनन के तीर से मोर दिल घायल भईल।
तोहार रुपवा के मोर मनवा ई कायल भईल।
नीकाल फेक देहलु हमरा के दिलवा से ऐसे,
मोर प्यार तोहरा पऊवा के पुरान पायल भईल।
कवि:-कृष्ण मंडल
#leaf अब किसी से भी दिल ना लगाएंगे
अब किसी को दिल में ना बसायेंगे
बहुत जख्म खाये है बेवफा फूलों से
हम कांटो से आपना दिल बहलायेंगे
कवि:-कृष्ण मंडल
8 Love
क्यो तुम उसे याद किया करती है।
उलफत के पीड़ से क्यो नही डरती है।
करना है इश्क तो कर अपने परिवारो से,
क्यो किसी गैर के लिये तु आहे भरती है।
कवि:-कृष्ण मंडल
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