क्यो तुम उसे याद किया करती है। उलफत के पीड़ से क् | हिंदी शायरी

"क्यो तुम उसे याद किया करती है। उलफत के पीड़ से क्यो नही डरती है। करना है इश्क तो कर अपने परिवारो से, क्यो किसी गैर के लिये तु आहे भरती है। कवि:-कृष्ण मंडल"

 क्यो तुम उसे याद किया करती है। 
उलफत के पीड़ से क्यो नही डरती है।
करना है इश्क तो कर अपने परिवारो से, 
क्यो किसी गैर के लिये तु आहे भरती है।

कवि:-कृष्ण मंडल

क्यो तुम उसे याद किया करती है। उलफत के पीड़ से क्यो नही डरती है। करना है इश्क तो कर अपने परिवारो से, क्यो किसी गैर के लिये तु आहे भरती है। कवि:-कृष्ण मंडल

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