लोग पागल कह कर बुलाने लगे। जबसे नजरे चुराकर वे जान | हिंदी शायरी

"लोग पागल कह कर बुलाने लगे। जबसे नजरे चुराकर वे जाने लगे। गैर के दिये जख्मों पर क्या रंज करे, जब अपने ही दिल पर छुरी चलाने लगे। कवि:-कृष्ण मंडल"

 लोग पागल कह कर बुलाने लगे।
जबसे नजरे चुराकर वे जाने लगे।
गैर के दिये जख्मों पर क्या रंज करे, 
जब अपने ही दिल पर छुरी चलाने लगे।

कवि:-कृष्ण मंडल

लोग पागल कह कर बुलाने लगे। जबसे नजरे चुराकर वे जाने लगे। गैर के दिये जख्मों पर क्या रंज करे, जब अपने ही दिल पर छुरी चलाने लगे। कवि:-कृष्ण मंडल

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