टूटी है मेरी नींद मगर तुमको इससे क्या बजते रहें हव | English Shayari V

"टूटी है मेरी नींद मगर तुमको इससे क्या बजते रहें हवाओं से दर, तुमको इससे क्या तुम मौज-मौज मिस्ल-ए-सबा घूमते फिरो कट जाएँ मेरी सोच के पर, तुमको इससे क्या औरों के हाथ थामो उन्हें रास्ता दिखाओ मैं भूल जाऊँ अपना ही घर, तुमको इससे क्या अब्र-ए-गुरेज़-पा को बरसने से क्या गरज़ सीपी में बन न पाए गुहर तुमको इससे क्या तुमने तो थक के दश्त में ख़ेमे लगा दिए तन्हा कटे किसी का सफ़र, तुमको इससे क्या ~ परवीन शाकिर"

टूटी है मेरी नींद मगर तुमको इससे क्या बजते रहें हवाओं से दर, तुमको इससे क्या तुम मौज-मौज मिस्ल-ए-सबा घूमते फिरो कट जाएँ मेरी सोच के पर, तुमको इससे क्या औरों के हाथ थामो उन्हें रास्ता दिखाओ मैं भूल जाऊँ अपना ही घर, तुमको इससे क्या अब्र-ए-गुरेज़-पा को बरसने से क्या गरज़ सीपी में बन न पाए गुहर तुमको इससे क्या तुमने तो थक के दश्त में ख़ेमे लगा दिए तन्हा कटे किसी का सफ़र, तुमको इससे क्या ~ परवीन शाकिर

#Sadmusic

टूटी है मेरी नींद मगर तुमको इससे क्या
बजते रहें हवाओं से दर, तुमको इससे क्या

तुम मौज-मौज मिस्ल-ए-सबा घूमते फिरो
कट जाएँ मेरी सोच के पर, तुमको इससे क्या

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