Jitender Kumar

Jitender Kumar

बहुत सारी किताबें पढ़ना चाहता हूं।

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#shayari_challenge #urdupoetrylines #shayrioftheday #top_newser #urduposts #darkness  ये और बात है तुझ से गिला नहीं करते
जो ज़ख़्म तू ने दिए हैं भरा नहीं करते

हज़ार जाल लिए घूमती फिरे दुनिया
तिरे असीर किसी के हुआ नहीं करते

ये आइनों की तरह देख-भाल चाहते हैं
कि दिल भी टूटें तो फिर से जुड़ा नहीं करते

वफ़ा की आँच सुख़न का तपाक दो इन को
दिलों के चाक रफ़ू से सिला नहीं करते

जहाँ हो प्यार ग़लत-फ़हमियाँ भी होती हैं
सो बात बात पे यूँ दिल बुरा नहीं करते

हमें हमारी अनाएँ तबाह कर देंगी
मुकालमे का अगर सिलसिला नहीं करते

जो हम पे गुज़री है जानाँ वो तुम पे भी गुज़रे
जो दिल भी चाहे तो ऐसी दुआ नहीं करते

हर इक दुआ के मुक़द्दर में कब हुज़ूरी है
तमाम ग़ुंचे तो 'अमजद' खिला नहीं करते

 अमजद इस्लाम अमजद

#darkness ये और बात है तुझ से गिला नहीं करते जो ज़ख़्म तू ने दिए हैं भरा नहीं करते हज़ार जाल लिए घूमती फिरे दुनिया तिरे असीर किसी के हुआ नहीं करते

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#shayari_challenge #urdupoetrylines #shayrioftheday #top_newser #urduposts  आँखों को इंतज़ार की भट्टी पे रख दिया
मैंने दिये को आँधी की मर्ज़ी पे रख दिया

आओ तुम्हें दिखाते हैं अंजामे-ज़िंदगी
सिक्का ये कह के रेल की पटरी पे रख दिया

फिर भी न दूर हो सकी आँखों से बेवगी
मेंहदी ने सारा ख़ून हथेली पे रख दिया

दुनिया को क्या ख़बर इसे कहते हैं शायरी
मैंने शकर के दाने को चींटी पे रख दिया

अंदर की टूट -फूट छिपाने के वास्ते
जलते हुए चराग़ को खिड़की पे रख दिया

घर की ज़रूरतों के लिए अपनी उम्र को
बच्चे ने कारख़ाने की चिमनी पे रख दिया

पिछला निशान जलने का मौजूद था तो फिर
क्यों हमने हाथ जलते अँगीठी पे रख दिया

मुनव्वर राना

#horror आँखों को इंतज़ार की भट्टी पे रख दिया मैंने दिये को आँधी की मर्ज़ी पे रख दिया आओ तुम्हें दिखाते हैं अंजामे-ज़िंदगी सिक्का ये कह के रेल की पटरी पे रख दिया

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#shayari_challenge #urdupoetrylines #shayrioftheday #sad_shayari #top_newser #urduposts  हम उन्हें वो हमें भुला बैठे 
दो गुनहगार ज़हर खा बैठे 

हाल-ए-ग़म कह के ग़म बढ़ा बैठे 
तीर मारे थे तीर खा बैठे 

आँधियो जाओ अब करो आराम 
हम ख़ुद अपना दिया बुझा बैठे 

जी तो हल्का हुआ मगर यारो 
रो के हम लुत्फ़-ए-ग़म गँवा बैठे 

बे-सहारों का हौसला ही क्या 
घर में घबराए दर पे आ बैठे 

जब से बिछड़े वो मुस्कुराए न हम 
सब ने छेड़ा तो लब हिला बैठे 

हम रहे मुब्तला-ए-दैर-ओ-हरम 
वो दबे पाँव दिल में आ बैठे 

उठ के इक बेवफ़ा ने दे दी जान 
रह गए सारे बा-वफ़ा बैठे 

हश्र का दिन अभी है दूर 'ख़ुमार' 
आप क्यूँ ज़ाहिदों में जा बैठे 

 ख़ुमार बाराबंकवी

#sad_shayari हम उन्हें वो हमें भुला बैठे दो गुनहगार ज़हर खा बैठे हाल-ए-ग़म कह के ग़म बढ़ा बैठे तीर मारे थे तीर खा बैठे

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#shayari_challenge #urdupoetrylines #shayrioftheday #RecallMemory #top_newser #urduposts  समन्दरों में मुआफ़िक़ हवा चलाता है
जहाज़ खुद नहीं चलते ख़ुदा चलाता है

ये जा के मील के पत्थर पे कोई लिख आये
वो हम नहीं हैं, जिन्हें रास्ता चलाता है

वो पाँच वक़्त नज़र आता है नमाज़ों में
मगर सुना है कि शब को जुआ चलाता है

ये लोग पांव नहीं ज़ेहन से अपाहिज हैं
उधर चलेंगे जिधर रहनुमा चलाता है

हम अपने बूढे़ चराग़ों पे ख़ूब इतराए
और उसको भूल गए जो हवा चलाता है

राहत इंदौरी

#RecallMemory समन्दरों में मुआफ़िक़ हवा चलाता है जहाज़ खुद नहीं चलते ख़ुदा चलाता है ये जा के मील के पत्थर पे कोई लिख आये वो हम नहीं हैं, जिन्हें रास्ता चलाता है

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#shayari_challenge #urdupoetrylines #shayrioftheday #top_newser #urduposts  शोर यूँ ही न परिंदों ने मचाया होगा
कोई जंगल की तरफ़ शहर से आया होगा

पेड़ के काटने वालों को ये मालूम तो था
जिस्म जल जाएँगे जब सर पे न साया होगा

बानी-ए-जश्ने-बहाराँ ने ये सोचा भी नहीं
किस ने काटों को लहू अपना पिलाया होगा

अपने जंगल से जो घबरा के उड़े थे प्यासे
ये सराब उन को समंदर नज़र आया होगा

बिजली के तार पर बैठा हुआ तन्हा पंछी
सोचता है कि वो जंगल तो पराया होगा

 कैफ़ी आज़मी

#haadse शोर यूँ ही न परिंदों ने मचाया होगा कोई जंगल की तरफ़ शहर से आया होगा पेड़ के काटने वालों को ये मालूम तो था जिस्म जल जाएँगे जब सर पे न साया होगा

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#shayari_challenge #urdupoetrylines #shayrioftheday #top_newser #urduposts #dardedil  हम रातों को उठ उठ के जिन के लिए रोते हैं 
वो ग़ैर की बाँहों में आराम से सोते हैं 

हम अश्क जुदाई के गिरने ही नहीं देते 
बेचैन सी पलकों में मोती से पिरोते हैं 

होता चला आया है बे-दर्द ज़माने में 
सच्चाई की राहों में काँटे सभी बोते हैं 

अंदाज़-ए-सितम उन का देखे तो कोई 'हसरत' 
मिलने को तो मिलते हैं नश्तर से चुभोते हैं 

          हसरत जयपुरी

#dardedil हम रातों को उठ उठ के जिन के लिए रोते हैं वो ग़ैर की बाँहों में आराम से सोते हैं हम अश्क जुदाई के गिरने ही नहीं देते बेचैन सी पलकों में मोती से पिरोते हैं

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