कहीं खुशबू कहीं गुल और तुलसी हो गए सब गुल, मेरे इस
"कहीं खुशबू
कहीं गुल और तुलसी
हो गए सब गुल,
मेरे इस गुलिस्तां से,,,,!
गज़ब की चली हवा
मेहरबानों जमाने में
उगने लगे हैं कैक्टस भी
खूब आज आशियानों में,,,,!
********
डॉ. कमल के.प्यासा।"
कहीं खुशबू
कहीं गुल और तुलसी
हो गए सब गुल,
मेरे इस गुलिस्तां से,,,,!
गज़ब की चली हवा
मेहरबानों जमाने में
उगने लगे हैं कैक्टस भी
खूब आज आशियानों में,,,,!
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डॉ. कमल के.प्यासा।