Dr. kamal Pyasa

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Counselor IG N OU.

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"विश्वाश" आस्था, ध्यान,लग्न,प्रीत और ये व्यवस्था कैसी,,,,,? छटकटा-बिखरता , अथाह लहू, चहूँ ओर,,,,,! बेगुनाह-बेज़ुबान,लाचार भेड़ों,बकरों,झोटों का,,,,,! ये मन्नतें-मंनोतियाँ, आशीषें हैं,कैसी-कैसी,,,,,? लम्बी-,लम्बी, दूर तक दिखती कतारें, रौंदती-कुचलतीं, धक्का-मुक्की करती,,,, है,आराधना ,संस्कृति परम्परा कैसी,,,,,? ********* डॉ०कमल के०प्यासा। ०० ©Dr. kamal Pyasa

#sunrays  "विश्वाश"

आस्था,
ध्यान,लग्न,प्रीत
और ये व्यवस्था कैसी,,,,,?
छटकटा-बिखरता ,
अथाह लहू, 
चहूँ ओर,,,,,!
बेगुनाह-बेज़ुबान,लाचार
भेड़ों,बकरों,झोटों का,,,,,!
ये मन्नतें-मंनोतियाँ, आशीषें
हैं,कैसी-कैसी,,,,,?
लम्बी-,लम्बी, दूर तक
दिखती कतारें,
रौंदती-कुचलतीं,
धक्का-मुक्की करती,,,,
है,आराधना ,संस्कृति परम्परा कैसी,,,,,?
*********

डॉ०कमल के०प्यासा।
००

©Dr. kamal Pyasa

#sunrays

11 Love

भूख भूख कैसी भी हो,,,,?,,,,? मिटती नहीं, मुकती नहीं, बढ़ती है, मरती नहीं । तड़पाती है, डालती है खलल नींद में,,,!,,,,! भूख पाटने को, गांठने को, आदमी को आदमी से आपस में भिड़ानेको दंगे फ़साद करने को कभी शर्माती नहीं,,,!,,,,! भूख तपती लू में पसीने में खूब नहा के सर्दी में कंपकम्पा के नंगे पांव दर दर ठोकरे खा के ख़ूनी आँसू बहा के,,,, दाव पेच लड़ाती है,,,,!,,,,! भूख राजनीति की;वोट की जीत की;कुर्सी सिंहासन की मिलाई वाले विभाग की जमीन की ;जयदाद की आलीशान हवेली या चमचमाती गाड़ी वाली शान की होती है दिलों में,,,,,!,,,,,! भूख इश्क की; प्यार की लाड दूलार की, बिन मां के बच्चे की ,दूध के चाहत की या फिर उस बूढ़े मां बाप के दूर रह रहे बेटे के इंतजार की !,,,,,! भूख रहती है भूख तो भूख है अपने अपने स्वार्थ की पेट की आग की भूख है भूख है,,,,!,,,,,! ******** डॉ०. कमल के०प्यासा। ©Dr. kamal Pyasa

#flowers  भूख


भूख
कैसी भी हो,,,,?,,,,?
मिटती नहीं,
मुकती नहीं, 
बढ़ती है,
मरती नहीं ।
तड़पाती है,
डालती है खलल नींद में,,,!,,,,!

भूख
पाटने को,
गांठने को,
आदमी को आदमी से
आपस में भिड़ानेको 
दंगे फ़साद करने को 
कभी शर्माती नहीं,,,!,,,,!

भूख
तपती लू में
पसीने में खूब नहा के
सर्दी में कंपकम्पा के
नंगे पांव दर दर ठोकरे खा के
ख़ूनी आँसू बहा के,,,,
दाव पेच लड़ाती है,,,,!,,,,!

भूख
राजनीति की;वोट की
जीत की;कुर्सी सिंहासन की
मिलाई वाले विभाग की
जमीन की ;जयदाद की
आलीशान हवेली या
चमचमाती गाड़ी वाली शान की
होती है दिलों में,,,,,!,,,,,!

भूख
इश्क की; प्यार की 
लाड दूलार की,
बिन मां के बच्चे की ,दूध के चाहत की
या फिर
उस बूढ़े मां बाप के दूर रह रहे बेटे के इंतजार की !,,,,,!
भूख रहती है
भूख तो भूख है
अपने अपने स्वार्थ की
पेट की आग की
भूख है भूख है,,,,!,,,,,!
********
डॉ०. कमल के०प्यासा।

©Dr. kamal Pyasa

#flowers

15 Love

कहीं खुशबू कहीं गुल और तुलसी हो गए सब गुल, मेरे इस गुलिस्तां से,,,,! गज़ब की चली हवा मेहरबानों जमाने में उगने लगे हैं कैक्टस भी खूब आज आशियानों में,,,,! ******** डॉ. कमल के.प्यासा।

 कहीं खुशबू
कहीं गुल और तुलसी
हो गए सब गुल,
मेरे इस गुलिस्तां से,,,,!

गज़ब की चली हवा 
मेहरबानों जमाने में
उगने लगे हैं कैक्टस भी
खूब आज आशियानों में,,,,!
********

डॉ. कमल के.प्यासा।

कहीं खुशबू कहीं गुल और तुलसी हो गए सब गुल, मेरे इस गुलिस्तां से,,,,! गज़ब की चली हवा मेहरबानों जमाने में उगने लगे हैं कैक्टस भी खूब आज आशियानों में,,,,! ******** डॉ. कमल के.प्यासा।

13 Love

सोच खेलना आग में चिलचिलाती धूप और बरसते पानी की बरसात में,,,, मिट्टी धूल से तो कहीं गंदगी कचरे कूड़े कबाड़ के ढेर से,,,, बैठा निश्चिंत कोई बेखबर, इन भेदों के खेल से,,,, कोई कहता किस्मत कर्म फल कहता कोई समझ है अपनी अपनी अपने विचारों की सोच है,,,,! ********** डॉ. कमल के.प्यासा।

#meltingdown  सोच

खेलना आग में
चिलचिलाती धूप और 
बरसते पानी की बरसात में,,,,

मिट्टी धूल से तो कहीं 
गंदगी कचरे 
कूड़े कबाड़ के ढेर से,,,,

बैठा निश्चिंत कोई
बेखबर,
इन भेदों के खेल से,,,,

कोई कहता किस्मत
कर्म फल कहता कोई
समझ है अपनी अपनी
अपने विचारों की सोच है,,,,!
**********

डॉ. कमल के.प्यासा।

#meltingdown

11 Love

आदमी पत्थरो के शहर में धूल मिट्टी फांकते फांकते भूख की ललक इतनी बढ़ी,,, हरयाली गुल हो गई, जंगल निगल गया आदमी,,, पत्थरों के कारोबार में कहीं पत्थर कूटते कूटते कहीं तोड़ते तोड़ते और पत्थर पूजते पूजते पत्थर हो गया आदमी,,,! पत्थरों की चिकनाहट चमक दमक से सीन चिरता रहा पत्थरों का, पथराई आंखों से निहारता बेटे का इंतज़ार ही रह गया बेचारा आदमी,,,! ********* डॉ. कमल के .प्यासा।

#teachersday2020  आदमी


पत्थरो  के शहर में
धूल मिट्टी फांकते फांकते
भूख की ललक इतनी बढ़ी,,,
हरयाली गुल हो गई,
जंगल निगल गया आदमी,,,

पत्थरों के कारोबार में 
कहीं पत्थर कूटते कूटते 
कहीं तोड़ते तोड़ते
और पत्थर पूजते पूजते
पत्थर हो गया आदमी,,,!

पत्थरों की चिकनाहट चमक दमक से
सीन चिरता रहा पत्थरों का,
पथराई आंखों से निहारता
बेटे का इंतज़ार ही रह गया बेचारा आदमी,,,!
*********

डॉ. कमल के .प्यासा।

भेद पर्दे का पर्दा उठ जाने से भेद खुल जाते हैं,,,! कपड़ों के अंदर भी नंगे नज़र आते हैं,,,! हालात के साथ साथ मौसम भी बदल जाते हैं,,,! ******** ०डॉ. कमल के .प्यासा।

#alone  भेद

पर्दे का
पर्दा उठ जाने से
भेद खुल जाते हैं,,,!
कपड़ों के अंदर भी 
नंगे नज़र आते हैं,,,!
हालात के साथ साथ 
मौसम भी बदल जाते हैं,,,!

********

०डॉ. कमल के .प्यासा।

#alone

15 Love

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