भूख
भूख
कैसी भी हो,,,,?,,,,?
मिटती नहीं,
मुकती नहीं,
बढ़ती है,
मरती नहीं ।
तड़पाती है,
डालती है खलल नींद में,,,!,,,,!
भूख
पाटने को,
गांठने को,
आदमी को आदमी से
आपस में भिड़ानेको
दंगे फ़साद करने को
कभी शर्माती नहीं,,,!,,,,!
भूख
तपती लू में
पसीने में खूब नहा के
सर्दी में कंपकम्पा के
नंगे पांव दर दर ठोकरे खा के
ख़ूनी आँसू बहा के,,,,
दाव पेच लड़ाती है,,,,!,,,,!
भूख
राजनीति की;वोट की
जीत की;कुर्सी सिंहासन की
मिलाई वाले विभाग की
जमीन की ;जयदाद की
आलीशान हवेली या
चमचमाती गाड़ी वाली शान की
होती है दिलों में,,,,,!,,,,,!
भूख
इश्क की; प्यार की
लाड दूलार की,
बिन मां के बच्चे की ,दूध के चाहत की
या फिर
उस बूढ़े मां बाप के दूर रह रहे बेटे के इंतजार की !,,,,,!
भूख रहती है
भूख तो भूख है
अपने अपने स्वार्थ की
पेट की आग की
भूख है भूख है,,,,!,,,,,!
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डॉ०. कमल के०प्यासा।
©Dr. kamal Pyasa
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