"विश्वाश"
आस्था,
ध्यान,लग्न,प्रीत
और ये व्यवस्था कैसी,,,,,?
छटकटा-बिखरता ,
अथाह लहू,
चहूँ ओर,,,,,!
बेगुनाह-बेज़ुबान,लाचार
भेड़ों,बकरों,झोटों का,,,,,!
ये मन्नतें-मंनोतियाँ, आशीषें
हैं,कैसी-कैसी,,,,,?
लम्बी-,लम्बी, दूर तक
दिखती कतारें,
रौंदती-कुचलतीं,
धक्का-मुक्की करती,,,,
है,आराधना ,संस्कृति परम्परा कैसी,,,,,?
*********
डॉ०कमल के०प्यासा।
००
©Dr. kamal Pyasa
#sunrays