कुछ आंखों से छलकते हैं, कुछ लफ़्ज़ों से झलकते हैं। ए | हिंदी शायरी

"कुछ आंखों से छलकते हैं, कुछ लफ़्ज़ों से झलकते हैं। एहसास-ए-जज़्बात है। कभी होठों से तो कभी मौजूदगी से वजूद अपना जाहिर करते हैं।। ©BINOदिनी"

 कुछ आंखों से छलकते हैं,
कुछ लफ़्ज़ों से झलकते हैं।
एहसास-ए-जज़्बात है।
कभी होठों से तो कभी
मौजूदगी से वजूद अपना जाहिर करते हैं।।

©BINOदिनी

कुछ आंखों से छलकते हैं, कुछ लफ़्ज़ों से झलकते हैं। एहसास-ए-जज़्बात है। कभी होठों से तो कभी मौजूदगी से वजूद अपना जाहिर करते हैं।। ©BINOदिनी

#raindrops #जज्बाती_अल्फाज़

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