ना धर्म को मानता हूं,ना जात को मानता हूं, जिससे दि | हिंदी शायरी
"ना धर्म को मानता हूं,ना जात को मानता हूं,
जिससे दिल मिले ऐसे इंसान को मानता हूं,
ना धर्म को पूजता हु,ना धर्मात्मा को पूजता हु,
में सिर्फ कर्म को पूजता ,और परमात्मा को पूजता हु।।
Devidutt Tripathi"
ना धर्म को मानता हूं,ना जात को मानता हूं,
जिससे दिल मिले ऐसे इंसान को मानता हूं,
ना धर्म को पूजता हु,ना धर्मात्मा को पूजता हु,
में सिर्फ कर्म को पूजता ,और परमात्मा को पूजता हु।।
Devidutt Tripathi