ना धर्म को मानता हूं,ना जात को मानता हूं,
जिससे दिल मिले ऐसे इंसान को मानता हूं,
ना धर्म को पूजता हु,ना धर्मात्मा को पूजता हु,
में सिर्फ कर्म को पूजता ,और परमात्मा को पूजता हु।।
Devidutt Tripathi
।। जिनके दिलों में आज भी दिमाग बसते हैं।।
बहुत अजीब सा लगता है जब देखती हूं,
अपनों के गम पर अपने ही हंसते हैं।
यूं तो ऊपर से सभी दोस्त हैं मगर ये भी सच है,
कि आस्तीन के सांप ही सबसे पहले डसते हैं।
ना जाने कौन सा ये दौर अब चल पड़ा है यार!
मंहगी बहुत है इंसानियत आजकल मगर,
इंसान बहुत सस्ते हैं।
विश्वास किसी पर भी बहुत सोच समझकर करना,
यहां विश्वास में ही छिपे अक्सर विषधर निकलते हैं।
और सच मूच बड़ा ही खौफ लगता है उन लोगों से प्रिया!
जिनके दिलों में आज भी दिमाग बसते हैं।।
Ms.Rastogi
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