दिलों को फतह करने के लिए , तलवार की नहीं,अख्लाक़ | हिंदी शायरी

"दिलों को फतह करने के लिए , तलवार की नहीं,अख्लाक़ की ज़रुरत होती है। ©Rashid Yusuf Zai"

 दिलों को फतह करने के लिए , 

तलवार की नहीं,अख्लाक़ की ज़रुरत होती है।

©Rashid Yusuf Zai

दिलों को फतह करने के लिए , तलवार की नहीं,अख्लाक़ की ज़रुरत होती है। ©Rashid Yusuf Zai

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