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urdu shayer
आंगन में वो बूढ़ा शजर याद आता है उजड़ चुका है फिर भी मगर याद आता है चैन मुझे परदेस में कैसे मिल जाए सूना मुझे अजदाद का घर याद आता है राशिद यूसुफ जई ©Rashid Yusuf Zai
Rashid Yusuf Zai
15 Love
भूल जाना तुझे कितना आसान था जैसे ख़ुशबू से ख़ाली ये गुलदान था ©Rashid Yusuf Zai
22 Love
दाग़दारों की सियासत का असर देखा हे। मेने मुफ़लिस का दहकता हुआ घर देखा हे। ©Rashid Yusuf Zai
21 Love
दिलों को फतह करने के लिए , तलवार की नहीं,अख्लाक़ की ज़रुरत होती है। ©Rashid Yusuf Zai
25 Love
कोई मिलता नहीं है मां तुझ सा अपनी पलकों पे बिठाऊं किसको ©Rashid Yusuf Zai
23 Love
यार अपना मैं बताऊं किसको हाल दिल का ये सुनाऊं किसको ©Rashid Yusuf Zai
27 Love
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