एक वक्त गुजरा है, एक गुजारना बाकी है,
कुछ बिगड़ गया है, कुछ सुधारना बाकी है।
सपनों की चादर में, कुछ धुंधले हैं निशान,
कुछ अधूरे ख्वाबों का, अब भी इंतज़ार बाकी है।
मंज़िल की राह में, कुछ कांटे चुभे थे,
पर अब भी हौंसलों का सफर सवारना बाकी है।
जो गिरते उठते थे, वो भी सबक बन गए,
मगर सीख का पन्ना अभी पूरा भरना बाकी है।
कुछ बातें दिल में दबी रह गईं,
कुछ बातें कहने का हक़ अब भी बाकी है।
एक वक्त गुजरा है, एक गुजारना बाकी है,
कुछ बिगड़ गया है, कुछ सुधारना बाकी है।
- मेरी कलम
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