kalam_shabd_ki

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Siddharth Dan, M.tech, MIAZ, PhD Scholar, NITJ

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White मैं उस सीढ़ी से फिसला, जिसके बाद छत आने वाली थी, बस एक कदम था बाकी, पर किस्मत ने फिर से चाल चली थी। रिश्तों की उस मोड़ से लौटा, जहां रास्ते कई खुलते थे, पर उलझनों में खो गया मैं, जहां दिल के फैसले बिखरते थे। छत की तलाश में चला था, पर शायद रास्ते ही बदल गए, जिन्हें मैं अपना मान रहा था, वो पल कहीं दूर निकल गए। अब न छत की ख्वाहिश बाकी, न रिश्तों का वो सवाल, मैं अपनी राह पर हूँ चल पड़ा, नया सफर, नई मिसाल। - मेरी कलम ©kalam_shabd_ki

#Thinking  White मैं उस सीढ़ी से फिसला,
जिसके बाद छत आने वाली थी,  
बस एक कदम था बाकी,  
पर किस्मत ने फिर से चाल चली थी।  

रिश्तों की उस मोड़ से लौटा,  
जहां रास्ते कई खुलते थे,  
पर उलझनों में खो गया मैं,  
जहां दिल के फैसले बिखरते थे।  

छत की तलाश में चला था,  
पर शायद रास्ते ही बदल गए,  
जिन्हें मैं अपना मान रहा था,  
वो पल कहीं दूर निकल गए।  

अब न छत की ख्वाहिश बाकी,  
न रिश्तों का वो सवाल,  
मैं अपनी राह पर हूँ चल पड़ा,  
नया सफर, नई मिसाल।

- मेरी कलम

©kalam_shabd_ki

#Thinking

10 Love

White जज़्बात नहीं, अरमान लिखूंगा, हर अधूरी ख्वाहिश का बयान लिखूंगा। खुद से खुद की ये अनकही दास्तां, मैं हर पन्ने पर नई पहचान लिखूंगा। रूह को जिन्दा, लम्हों में ढालूंगा, हर साँस में, मैं नए सपने पालूंगा। जिस्म को मानो मैं मुर्दा कर दूंगा, पर दिल की धड़कन को अमर लिखूंगा। शाम को मैं सांझ की चादर दूंगा, खून को मैं लहू की तरह बहा दूंगा। दर्द को मैं किस्मत का हिस्सा मानूंगा, और हंसी को ख्वाबों में सजा दूंगा। लिख पाऊं तो हर अल्फाज़ में बसा दूंगा, मैं खुद को खुद से बार-बार लिखूंगा। हर लफ्ज़ में अपनी परछाईं रचूंगा, इस कहानी में, मैं खुद को ही लिखूंगा। - मेरी कलम ©kalam_shabd_ki

#Sad_shayri #SAD  White जज़्बात नहीं, अरमान लिखूंगा,  
हर अधूरी ख्वाहिश का बयान लिखूंगा।  
खुद से खुद की ये अनकही दास्तां,  
मैं हर पन्ने पर नई पहचान लिखूंगा।

रूह को जिन्दा, लम्हों में ढालूंगा,  
हर साँस में, मैं नए सपने पालूंगा।  
जिस्म को मानो मैं मुर्दा कर दूंगा,  
पर दिल की धड़कन को अमर लिखूंगा।

शाम को मैं सांझ की चादर दूंगा,  
खून को मैं लहू की तरह बहा दूंगा।  
दर्द को मैं किस्मत का हिस्सा मानूंगा,  
और हंसी को ख्वाबों में सजा दूंगा।

लिख पाऊं तो हर अल्फाज़ में बसा दूंगा,  
मैं खुद को खुद से बार-बार लिखूंगा।  
हर लफ्ज़ में अपनी परछाईं रचूंगा,  
इस कहानी में, मैं खुद को ही लिखूंगा।

- मेरी कलम

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#Sad_shayri

13 Love

White किसी महफ़िल में लुटे हैं हम भी, किसी कहानी में झूठे हैं हम भी। समझो मत कि बस हम ही बिखरे हैं, इस सफर में तुम भी कहीं टूटे हो। कदर भले ना हो आज तुम्हें हमारी, मगर इस दौड़ में हम भी पीछे नहीं हैं। - मेरी कलम ©kalam_shabd_ki

#Sad_Status #wishes  White किसी महफ़िल में लुटे हैं हम भी,
किसी कहानी में झूठे हैं हम भी।
समझो मत कि बस हम ही बिखरे हैं,
इस सफर में तुम भी कहीं टूटे हो।
कदर भले ना हो आज तुम्हें हमारी,
मगर इस दौड़ में हम भी पीछे नहीं हैं।

- मेरी कलम

©kalam_shabd_ki

#Sad_Status

8 Love

कुछ शिकवे-गिले से लगते हो, तुम कहो तो सारे मिटा दूँ क्या। दिल में छुपा है दर्द गहरा, तुम कहो तो, तुमसे छिपाऊँ क्या । तुम्हें लगता है मेरी मोहब्बत कम है, तुम कहो तो हर दिन जताऊँ क्या। पर अफसोस, तुम कुछ भी कहते नहीं, साथ होने का वादा, पर कभी रहते नहीं। दिल में हैं अनगिनत सवाल, तुम कहो तो सभी बताऊँ क्या। तुम शायद मुझे कभी समझ न पाओ, एक बार कह कर तो देखो, तुम्हें समझाऊँ क्या। - मेरी कलम . ©kalam_shabd_ki

 कुछ शिकवे-गिले से लगते हो,  
तुम कहो तो सारे मिटा दूँ क्या। 

दिल में छुपा है दर्द गहरा,  
तुम कहो तो, तुमसे छिपाऊँ क्या ।

तुम्हें लगता है मेरी मोहब्बत कम है,  
तुम कहो तो हर दिन जताऊँ क्या। 

पर अफसोस, तुम कुछ भी कहते नहीं,  
साथ होने का वादा, पर कभी रहते नहीं।  
दिल में हैं अनगिनत सवाल,  
तुम कहो तो सभी बताऊँ क्या। 

तुम शायद मुझे कभी समझ न पाओ,  
एक बार कह कर तो देखो,  
तुम्हें समझाऊँ क्या।

- मेरी कलम








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©kalam_shabd_ki

कुछ शिकवे-गिले से लगते हो, तुम कहो तो सारे मिटा दूँ क्या। दिल में छुपा है दर्द गहरा, तुम कहो तो, तुमसे छिपाऊँ क्या । तुम्हें लगता है मेरी मोहब्बत कम है, तुम कहो तो हर दिन जताऊँ क्या। पर अफसोस, तुम कुछ भी कहते नहीं, साथ होने का वादा, पर कभी रहते नहीं। दिल में हैं अनगिनत सवाल, तुम कहो तो सभी बताऊँ क्या। तुम शायद मुझे कभी समझ न पाओ, एक बार कह कर तो देखो, तुम्हें समझाऊँ क्या। - मेरी कलम . ©kalam_shabd_ki

15 Love

ज़िंदगी की राह पर कभी नींद भी आती थी, आज सोने का दिल भी नहीं करता, छोटी-छोटी बातों पर आंसू बह जाते थे, अब तो रोने की भी इच्छा नहीं रहती, कभी खुद को सब कुछ दे देना चाहता था, अब खोने की भी चाहत नहीं रह गई, पहले शब्द भी कम पड़ते थे कहने को, अब मुँह खोलने का मन भी नहीं करता, कड़वे पल मीठे यादों में मिल जाते थे, अब सोचने की भी फुर्सत नहीं मिलती। - मेरी कलम . ©kalam_shabd_ki

 ज़िंदगी की राह पर कभी नींद भी आती थी,
आज सोने का दिल भी नहीं करता,

छोटी-छोटी बातों पर आंसू बह जाते थे,
अब तो रोने की भी इच्छा नहीं रहती,
कभी खुद को सब कुछ दे देना चाहता था,
अब खोने की भी चाहत नहीं रह गई,

पहले शब्द भी कम पड़ते थे कहने को,
अब मुँह खोलने का मन भी नहीं करता,
कड़वे पल मीठे यादों में मिल जाते थे,
अब सोचने की भी फुर्सत नहीं मिलती।

- मेरी कलम









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ज़िंदगी की राह पर कभी नींद भी आती थी, आज सोने का दिल भी नहीं करता, छोटी-छोटी बातों पर आंसू बह जाते थे, अब तो रोने की भी इच्छा नहीं रहती, कभी खुद को सब कुछ दे देना चाहता था, अब खोने की भी चाहत नहीं रह गई, पहले शब्द भी कम पड़ते थे कहने को, अब मुँह खोलने का मन भी नहीं करता, कड़वे पल मीठे यादों में मिल जाते थे, अब सोचने की भी फुर्सत नहीं मिलती। - मेरी कलम . ©kalam_shabd_ki

14 Love

एक वक्त गुजरा है, एक गुजारना बाकी है, कुछ बिगड़ गया है, कुछ सुधारना बाकी है। सपनों की चादर में, कुछ धुंधले हैं निशान, कुछ अधूरे ख्वाबों का, अब भी इंतज़ार बाकी है। मंज़िल की राह में, कुछ कांटे चुभे थे, पर अब भी हौंसलों का सफर सवारना बाकी है। जो गिरते उठते थे, वो भी सबक बन गए, मगर सीख का पन्ना अभी पूरा भरना बाकी है। कुछ बातें दिल में दबी रह गईं, कुछ बातें कहने का हक़ अब भी बाकी है। एक वक्त गुजरा है, एक गुजारना बाकी है, कुछ बिगड़ गया है, कुछ सुधारना बाकी है। - मेरी कलम ©kalam_shabd_ki

 एक वक्त गुजरा है, एक गुजारना बाकी है,  
कुछ बिगड़ गया है, कुछ सुधारना बाकी है।  

सपनों की चादर में, कुछ धुंधले हैं निशान,  
कुछ अधूरे ख्वाबों का, अब भी इंतज़ार बाकी है।  

मंज़िल की राह में, कुछ कांटे चुभे थे,  
पर अब भी हौंसलों का सफर सवारना बाकी है।  

जो गिरते उठते थे, वो भी सबक बन गए,  
मगर सीख का पन्ना अभी पूरा भरना बाकी है।  

कुछ बातें दिल में दबी रह गईं,  
कुछ बातें कहने का हक़ अब भी बाकी है।  

एक वक्त गुजरा है, एक गुजारना बाकी है,  
कुछ बिगड़ गया है, कुछ सुधारना बाकी है।

- मेरी कलम

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एक वक्त गुजरा है, एक गुजारना बाकी है, कुछ बिगड़ गया है, कुछ सुधारना बाकी है। सपनों की चादर में, कुछ धुंधले हैं निशान, कुछ अधूरे ख्वाबों का, अब भी इंतज़ार बाकी है। मंज़िल की राह में, कुछ कांटे चुभे थे, पर अब भी हौंसलों का सफर सवारना बाकी है। जो गिरते उठते थे, वो भी सबक बन गए, मगर सीख का पन्ना अभी पूरा भरना बाकी है। कुछ बातें दिल में दबी रह गईं, कुछ बातें कहने का हक़ अब भी बाकी है। एक वक्त गुजरा है, एक गुजारना बाकी है, कुछ बिगड़ गया है, कुछ सुधारना बाकी है। - मेरी कलम ©kalam_shabd_ki

13 Love

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