White मैं उस सीढ़ी से फिसला,
जिसके बाद छत आने वाली थी,
बस एक कदम था बाकी,
पर किस्मत ने फिर से चाल चली थी।
रिश्तों की उस मोड़ से लौटा,
जहां रास्ते कई खुलते थे,
पर उलझनों में खो गया मैं,
जहां दिल के फैसले बिखरते थे।
छत की तलाश में चला था,
पर शायद रास्ते ही बदल गए,
जिन्हें मैं अपना मान रहा था,
वो पल कहीं दूर निकल गए।
अब न छत की ख्वाहिश बाकी,
न रिश्तों का वो सवाल,
मैं अपनी राह पर हूँ चल पड़ा,
नया सफर, नई मिसाल।
- मेरी कलम
©kalam_shabd_ki
#Thinking