White जज़्बात नहीं, अरमान लिखूंगा, हर अधूरी ख्वा | हिंदी Sad

"White जज़्बात नहीं, अरमान लिखूंगा, हर अधूरी ख्वाहिश का बयान लिखूंगा। खुद से खुद की ये अनकही दास्तां, मैं हर पन्ने पर नई पहचान लिखूंगा। रूह को जिन्दा, लम्हों में ढालूंगा, हर साँस में, मैं नए सपने पालूंगा। जिस्म को मानो मैं मुर्दा कर दूंगा, पर दिल की धड़कन को अमर लिखूंगा। शाम को मैं सांझ की चादर दूंगा, खून को मैं लहू की तरह बहा दूंगा। दर्द को मैं किस्मत का हिस्सा मानूंगा, और हंसी को ख्वाबों में सजा दूंगा। लिख पाऊं तो हर अल्फाज़ में बसा दूंगा, मैं खुद को खुद से बार-बार लिखूंगा। हर लफ्ज़ में अपनी परछाईं रचूंगा, इस कहानी में, मैं खुद को ही लिखूंगा। - मेरी कलम ©kalam_shabd_ki"

 White जज़्बात नहीं, अरमान लिखूंगा,  
हर अधूरी ख्वाहिश का बयान लिखूंगा।  
खुद से खुद की ये अनकही दास्तां,  
मैं हर पन्ने पर नई पहचान लिखूंगा।

रूह को जिन्दा, लम्हों में ढालूंगा,  
हर साँस में, मैं नए सपने पालूंगा।  
जिस्म को मानो मैं मुर्दा कर दूंगा,  
पर दिल की धड़कन को अमर लिखूंगा।

शाम को मैं सांझ की चादर दूंगा,  
खून को मैं लहू की तरह बहा दूंगा।  
दर्द को मैं किस्मत का हिस्सा मानूंगा,  
और हंसी को ख्वाबों में सजा दूंगा।

लिख पाऊं तो हर अल्फाज़ में बसा दूंगा,  
मैं खुद को खुद से बार-बार लिखूंगा।  
हर लफ्ज़ में अपनी परछाईं रचूंगा,  
इस कहानी में, मैं खुद को ही लिखूंगा।

- मेरी कलम

©kalam_shabd_ki

White जज़्बात नहीं, अरमान लिखूंगा, हर अधूरी ख्वाहिश का बयान लिखूंगा। खुद से खुद की ये अनकही दास्तां, मैं हर पन्ने पर नई पहचान लिखूंगा। रूह को जिन्दा, लम्हों में ढालूंगा, हर साँस में, मैं नए सपने पालूंगा। जिस्म को मानो मैं मुर्दा कर दूंगा, पर दिल की धड़कन को अमर लिखूंगा। शाम को मैं सांझ की चादर दूंगा, खून को मैं लहू की तरह बहा दूंगा। दर्द को मैं किस्मत का हिस्सा मानूंगा, और हंसी को ख्वाबों में सजा दूंगा। लिख पाऊं तो हर अल्फाज़ में बसा दूंगा, मैं खुद को खुद से बार-बार लिखूंगा। हर लफ्ज़ में अपनी परछाईं रचूंगा, इस कहानी में, मैं खुद को ही लिखूंगा। - मेरी कलम ©kalam_shabd_ki

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