ज़िंदगी की राह पर कभी नींद भी आती थी, आज सोने का द | हिंदी Shayari

"ज़िंदगी की राह पर कभी नींद भी आती थी, आज सोने का दिल भी नहीं करता, छोटी-छोटी बातों पर आंसू बह जाते थे, अब तो रोने की भी इच्छा नहीं रहती, कभी खुद को सब कुछ दे देना चाहता था, अब खोने की भी चाहत नहीं रह गई, पहले शब्द भी कम पड़ते थे कहने को, अब मुँह खोलने का मन भी नहीं करता, कड़वे पल मीठे यादों में मिल जाते थे, अब सोचने की भी फुर्सत नहीं मिलती। - मेरी कलम . ©kalam_shabd_ki"

 ज़िंदगी की राह पर कभी नींद भी आती थी,
आज सोने का दिल भी नहीं करता,

छोटी-छोटी बातों पर आंसू बह जाते थे,
अब तो रोने की भी इच्छा नहीं रहती,
कभी खुद को सब कुछ दे देना चाहता था,
अब खोने की भी चाहत नहीं रह गई,

पहले शब्द भी कम पड़ते थे कहने को,
अब मुँह खोलने का मन भी नहीं करता,
कड़वे पल मीठे यादों में मिल जाते थे,
अब सोचने की भी फुर्सत नहीं मिलती।

- मेरी कलम









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©kalam_shabd_ki

ज़िंदगी की राह पर कभी नींद भी आती थी, आज सोने का दिल भी नहीं करता, छोटी-छोटी बातों पर आंसू बह जाते थे, अब तो रोने की भी इच्छा नहीं रहती, कभी खुद को सब कुछ दे देना चाहता था, अब खोने की भी चाहत नहीं रह गई, पहले शब्द भी कम पड़ते थे कहने को, अब मुँह खोलने का मन भी नहीं करता, कड़वे पल मीठे यादों में मिल जाते थे, अब सोचने की भी फुर्सत नहीं मिलती। - मेरी कलम . ©kalam_shabd_ki

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