मेरी बेचैनी वो वक्त कितना अजीब था, जब तुम्हे देखे

"मेरी बेचैनी वो वक्त कितना अजीब था, जब तुम्हे देखे बिना गुजरता ही नहीं था। तुमसे मिलने की बेचैनी ने मेरे दिल में घर कर लिया था। एक पल भी गुजार पाना बहुत मुश्किल था। शाम होते ही समय धीमे हो जाता था, रात कटती ही नहीं थी। करवटें बदल बदल के रात गुजरती थी। कल सुबह तुम्हे देख पाउगा फिर, तुम्हे अपने दिल की बात कहूंगा। पर हिम्मत ना होती कहने की, और फिर वही शाम हो जाती रात हो जाती। और फिर वो छटपटाती रातें गुजारनी पड़ती थी। ©Ashish Namdeo"

 मेरी बेचैनी

वो वक्त कितना अजीब था,
जब तुम्हे देखे बिना गुजरता ही नहीं था।
तुमसे मिलने की बेचैनी ने 
मेरे दिल में घर कर लिया था।
एक पल भी गुजार पाना बहुत मुश्किल था।
शाम होते ही समय धीमे हो जाता था,
रात कटती ही नहीं थी।
करवटें बदल बदल के रात गुजरती थी।
कल सुबह तुम्हे देख पाउगा फिर,
तुम्हे अपने दिल की बात कहूंगा।
पर हिम्मत ना होती कहने की,
और फिर वही शाम हो जाती 
रात हो जाती।
और फिर वो छटपटाती रातें 
गुजारनी पड़ती थी।

©Ashish Namdeo

मेरी बेचैनी वो वक्त कितना अजीब था, जब तुम्हे देखे बिना गुजरता ही नहीं था। तुमसे मिलने की बेचैनी ने मेरे दिल में घर कर लिया था। एक पल भी गुजार पाना बहुत मुश्किल था। शाम होते ही समय धीमे हो जाता था, रात कटती ही नहीं थी। करवटें बदल बदल के रात गुजरती थी। कल सुबह तुम्हे देख पाउगा फिर, तुम्हे अपने दिल की बात कहूंगा। पर हिम्मत ना होती कहने की, और फिर वही शाम हो जाती रात हो जाती। और फिर वो छटपटाती रातें गुजारनी पड़ती थी। ©Ashish Namdeo

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