था मैं नीद में ,, और मुझे इतना सजाया जा रहा था,,
बड़े ही प्यार से मुझे नहलाया जा रहा था।
ना था वो कौन सा अजब खेल मेरे घर में,
बच्चे की तरह मुझे , कंधे पर उठाया जा रहा था।
था पास मेरे, हर अपना उस वक्त,
फिर भी, मैं हर किसी के मन से भुलाया जा रहा था।
जो कभी देखते भी ना थे प्यार से,
उनके दिल से भी ,आज बेशुमार प्यार मुझपर लुटाया जा रहा था।
मालूम नही, हर कोई क्यों ? हैरान था मुझे सोते देखकर,
जोर - जोर से रोकर मुझे हर कोई जगाए जा रहा था।
कांप उठी , रूह मेरी वो मन्जर देखकर, जहां मुझे हमेशा के लिए सुलाया जा रहा था।
प्यार करते थे जो मुझसे खूब, उन्हीं हाथो ,आज मैं जलाया जा रहा था।
इस दुनिया में कोई किसी का हमदर्द नहीं, लास को शमशान मे रखकर, अपने ही पूछते हैं और कितना वक्त लगेगा।।।।।
©Nehu Dee.kalam
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