जिंदगी से बहुत उदास हूं
न जाने क्या क्या मैं भी सोचता रहता हूं
कभी इधर तो कभी उधर देखता रहता हूं
कुछ लोग कहते है की मैं बहुत खास हूं
मगर कौन बताए की मैं जिंदगी से बहुत उदास हूं
कुछ पल तो ऐसा लगता है की कुछ हो रहा हो
कभी दिल तो कभी दिमाग भी कुछ कह रहा हो
महसूस होता है जैसे मैं किसी के आसपास हूं
पर मैं तो जिंदगी से बहुत उदास हूं
कोई तो है जो बेइम्तेहां मुझसे प्यार करती है
मेरे आने का हर वक्त वो इंतज़ार करती है
उसे कौन बताए की मैं बकवास हूं
क्योंकि मैं तो जिंदगी से बहुत उदास हू
कहती है की मैं कभी भी हार नही सकता
मगर मैं तो जीत कर भी जीत नही सकता
वो कहती फिरती है सब से मैं विश्वास हूं
न जाने क्यों मैं जिंदगी से बहुत उदास हूं
सब कुछ जान कर भी अनजान बना रहता हू
मैं तो अपने ही घर मे मेहमान बना रहता हू
घर वाले कहते है की मैं उपन्यास हूं
बे-वजह ही मैं जिंदगी से बहुत उदास हू
अली (जिद्दी)
जिंदगी से बहुत उदास हू