जिंदगी से बहुत उदास हूं
न जाने क्या क्या मैं भी सोचता रहता हूं
कभी इधर तो कभी उधर देखता रहता हूं
कुछ लोग कहते है की मैं बहुत खास हूं
मगर कौन बताए की मैं जिंदगी से बहुत उदास हूं
कुछ पल तो ऐसा लगता है की कुछ हो रहा हो
कभी दिल तो कभी दिमाग भी कुछ कह रहा हो
महसूस होता है जैसे मैं किसी के आसपास हूं
पर मैं तो जिंदगी से बहुत उदास हूं
कोई तो है जो बेइम्तेहां मुझसे प्यार करती है
मेरे आने का हर वक्त वो इंतज़ार करती है
उसे कौन बताए की मैं बकवास हूं
क्योंकि मैं तो जिंदगी से बहुत उदास हू
कहती है की मैं कभी भी हार नही सकता
मगर मैं तो जीत कर भी जीत नही सकता
वो कहती फिरती है सब से मैं विश्वास हूं
न जाने क्यों मैं जिंदगी से बहुत उदास हूं
सब कुछ जान कर भी अनजान बना रहता हू
मैं तो अपने ही घर मे मेहमान बना रहता हू
घर वाले कहते है की मैं उपन्यास हूं
बे-वजह ही मैं जिंदगी से बहुत उदास हू
अली (जिद्दी)
बहुत प्यासा हूं मैं एक बूंद पानी दे दे
मेरे मौला भीख मे ही जिंदगानी दे दे
टूटकर बिखर गया हूं आईने की तरह
कम से कम टूटने की ही निशानी दे दे
थक गया हूं मैं जिंदगी से लड़ते-लड़ते
जिंदगी जी सकू ऐसी कोई कहानी दे दे
लिख तो लेता हूं दर्द को कोरे कागज पे
पढ़ सके मेरे दर्द को कोई ऐसी दीवानी दे दे
मुद्दतो बाद फिर से याद कर रही है वो
तू ऐसा कर यादे वही पुरानी दे दे
जिद्दी
बुलंदियो पे यक़ीनन यक़ीन रखता हूं
मगर मैं पाँव के नीचे जमीन रखता हूं
तुम्हारी तरह नही सिर्फ शक्लो सूरत ही
मैं अपने सीने मे दिल भी हसीन रखता हूं
तलास कीजिये हाथो मे आप तकदीरें
मैं सिर्फ खुदा पर यक़ीन रखता हूं
उस्ताद नदीम शाद
दोस्त तो हजार है
पर नौकरी व्यापार है
गलती नही सरकार की
मैं खुद से ही लाचार हूं
मैं बेरोजगार हूं
प्यार भी अब हो गया है दूर
समझने लगे लोग मिट्टी का धुर
पैसो से मजबूर सफेद कॉलर का मजदूर
मैं खुद का खुद ही गुनाहगार हूं
मैं बेरोजगार हूं
अब उठा लिया है कलम
तोड़ दूंगा अब हर भ्रम
वक्त मिले तो पढ़ना ज़रूर
मैं जिद्दी कलमकार हूं
मैं बेरोजगार हूं
जिद्दी✍️
दोस्त तो हजार है
पर नौकरी व्यापार है
गलती नही सरकार की
मैं खुद से ही लाचार हूं
मैं बेरोजगार हूं
प्यार भी अब हो गया है दूर
समझने लगे लोग मिट्टी का धुर
पैसो से मजबूर सफेद कॉलर का मजदूर
मैं खुद का खुद ही गुनाहगार हूं
मैं बेरोजगार हूं
अब उठा लिया है कलम
तोड़ दूंगा अब हर भ्रम
वक्त मिले तो पढ़ना ज़रूर
मैं जिद्दी कलमकार हूं
मैं बेरोजगार हूं
जिद्दी✍️
11 Love
मैं बेरोजगार हूं
गली नुक्कड़ पे ही बैठा रहता हूं
बे-वजह की बाते करता रहता हूं
लोग क्या जाने क्या है मेरी मजबूरी
मैं तो चाय वाले का भी उधार हूं
मैं बेरोजगार हूं
सारा दिन किताबो को पढ़ता रहता हूं
मैं खुद से ही कई जंग लड़ता रहता हू
कब हारा और कब जीता मालूम नही
मैं लोगों का दुत्कार हूं
मैं बेरोजगार हूं
मेरे पास है डीग्री बी-कॉम की
पर है ही नही किसी भी काम की
घर मे कोई कुछ भी नही कहता
क्योंकि मैं माँ बाप का प्यार हूं
मैं बेरोजगार हूं
मैं बेरोजगार हूं
गली नुक्कड़ पे ही बैठा रहता हूं
बे-वजह की बाते करता रहता हूं
लोग क्या जाने क्या है मेरी मजबूरी
मैं तो चाय वाले का भी उधार हूं
मैं बेरोजगार हूं
सारा दिन किताबो को पढ़ता रहता हूं
मैं खुद से ही कई जंग लड़ता रहता हू
कब हारा और कब जीता मालूम नही
मैं लोगों का दुत्कार हूं
मैं बेरोजगार हूं
मेरे पास है डीग्री बी-कॉम की
पर है ही नही किसी भी काम की
घर मे कोई कुछ भी नही कहता
क्योंकि मैं माँ बाप का प्यार हूं
मैं बेरोजगार हूं
6 Love
दाव पेच लगाओ जीत के दिखाओ बाजी
गहरे समंदर मे कही डूब न जाए नाव माझी
रख खुद पे यक़ीन और हौसला बुलन्द कर
पार हो जायेगा नाव भी जीत जायेगा बाजी
अली(जिद्दी)
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