मैं बेरोजगार हूं
गली नुक्कड़ पे ही बैठा रहता हूं
बे-वजह की बाते करता रहता हूं
लोग क्या जाने क्या है मेरी मजबूरी
मैं तो चाय वाले का भी उधार हूं
मैं बेरोजगार हूं
सारा दिन किताबो को पढ़ता रहता हूं
मैं खुद से ही कई जंग लड़ता रहता हू
कब हारा और कब जीता मालूम नही
मैं लोगों का दुत्कार हूं
मैं बेरोजगार हूं
मेरे पास है डीग्री बी-कॉम की
पर है ही नही किसी भी काम की
घर मे कोई कुछ भी नही कहता
क्योंकि मैं माँ बाप का प्यार हूं
मैं बेरोजगार हूं