प्रेम किया है तुमने ग़र तो राम वास है और कहां सात

"प्रेम किया है तुमने ग़र तो राम वास है और कहां सात समंदर से भी गहरा कोई समंदर और कहां डूबने वाला जीवन पाये तट दर्शक भी डूबना चाहे श्याम चाहो चुनो प्रेम राह को पथ ऐसा कोई और कहां ॥ हृदयवाणी।श्रीकांत पचहरा"

 प्रेम किया है तुमने ग़र तो राम वास है और कहां
सात समंदर से भी गहरा कोई समंदर और कहां
डूबने वाला जीवन पाये तट दर्शक भी डूबना चाहे
श्याम चाहो चुनो प्रेम राह को पथ ऐसा कोई और कहां ॥
                                                        हृदयवाणी।श्रीकांत पचहरा

प्रेम किया है तुमने ग़र तो राम वास है और कहां सात समंदर से भी गहरा कोई समंदर और कहां डूबने वाला जीवन पाये तट दर्शक भी डूबना चाहे श्याम चाहो चुनो प्रेम राह को पथ ऐसा कोई और कहां ॥ हृदयवाणी।श्रीकांत पचहरा

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