ग़म न आए कभी बजे ख़ुशी के हर शुर, निराशा हो कोश दू | हिंदी कविता

"ग़म न आए कभी बजे ख़ुशी के हर शुर, निराशा हो कोश दूर खुशियाँ मिले भरपूर। जिंदगी की दौर में असफलता रहे आपसे बहुत दूर, 2024 आपके लिए बन जाए कोहिनूर। @ SHYAM WRITES Happy new year आप सभी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं। ©Radhe Shyam"

 ग़म न आए कभी बजे ख़ुशी के हर शुर,
निराशा हो कोश दूर खुशियाँ मिले भरपूर।
जिंदगी की दौर में असफलता रहे आपसे बहुत दूर, 
2024 आपके लिए बन जाए कोहिनूर।
@ SHYAM WRITES 

Happy new year 
आप सभी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

©Radhe Shyam

ग़म न आए कभी बजे ख़ुशी के हर शुर, निराशा हो कोश दूर खुशियाँ मिले भरपूर। जिंदगी की दौर में असफलता रहे आपसे बहुत दूर, 2024 आपके लिए बन जाए कोहिनूर। @ SHYAM WRITES Happy new year आप सभी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं। ©Radhe Shyam

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