फिर चीरहर्ण हुआ, फिर वस्त्र उतारे गए..... युग बदल | हिंदी Shayari

"फिर चीरहर्ण हुआ, फिर वस्त्र उतारे गए..... युग बदल गए, लेकिन राक्षस अभी भी वही पहचाने गए...// इस बार द्रोपति की गुहार पर कान्हा नही आए.... लेकिन आर्यवर्त में, नए दूसासन पहचाने गए.....// पहचानी तो गई धरती वही है, अर्जुन और वासुदेव वाली, लेकिन अफ़सोस, इस द्रोपत्ति के अपमान के लिए, मोमबत्ती उठाई गई, महाभारत के लिए...., हथियार नहीं उठाए गए....// फिर चीरहर्ण हुआ, फिर वस्त्र उतारे गए..... युग बदल गए, लेकिन राक्षस वही पुराने पहचाने गए...// ©Molu Writer"

 फिर चीरहर्ण हुआ, फिर वस्त्र उतारे गए.....
युग बदल गए, लेकिन राक्षस अभी भी वही पहचाने गए...//
इस बार  द्रोपति की गुहार पर कान्हा नही आए....
लेकिन आर्यवर्त में, नए दूसासन पहचाने गए.....//
पहचानी तो गई धरती वही है, अर्जुन और वासुदेव वाली,
लेकिन अफ़सोस, इस द्रोपत्ति के अपमान के लिए, 
मोमबत्ती उठाई गई, 
महाभारत के लिए...., हथियार नहीं उठाए गए....//
फिर चीरहर्ण हुआ, फिर वस्त्र उतारे गए.....
युग बदल गए, लेकिन राक्षस वही पुराने पहचाने गए...//

©Molu Writer

फिर चीरहर्ण हुआ, फिर वस्त्र उतारे गए..... युग बदल गए, लेकिन राक्षस अभी भी वही पहचाने गए...// इस बार द्रोपति की गुहार पर कान्हा नही आए.... लेकिन आर्यवर्त में, नए दूसासन पहचाने गए.....// पहचानी तो गई धरती वही है, अर्जुन और वासुदेव वाली, लेकिन अफ़सोस, इस द्रोपत्ति के अपमान के लिए, मोमबत्ती उठाई गई, महाभारत के लिए...., हथियार नहीं उठाए गए....// फिर चीरहर्ण हुआ, फिर वस्त्र उतारे गए..... युग बदल गए, लेकिन राक्षस वही पुराने पहचाने गए...// ©Molu Writer

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